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जन्म से ब्रिटिश दिल से इंडियन: एनी बेसेंट

जन्म से ब्रिटिश दिल से इंडियन: एनी बेसेंट

 

आज के ही दिन खुले विचारों की मालकिन एनी बेसेंट (Annie Besant) की मृत्यु हुई थी। उनकी पैदाइश भले ही ब्रिटेन की हो, लेकिन दिल से वह पूरी तरह से भारतीय (Indian) थीं और इसे ही अपनी मातृभूमि मानती थी। भारत में आजादी के संघर्ष के दौरान उनका योगदान को बेहद महत्वपूर्ण रहा। महिला अधिकार कार्यकर्ता एनी बेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर सन् 1847 में हुआ था। उनके पिता डॉक्टर (Doctor) थे। बेसेंट की गणित और दर्शन में विशेष रुचि थी। बेसेंट माता-पिता के धार्मिक विचारों से बेहद प्रभावित थी। अपने पिता की मौत के समय वह सिर्फ पांच साल की ही थी। उन्होंने मिस मेरियट से शिक्षा प्राप्त की और मिस मेरियट उन्हें छोटी उम्र में ही अपने साथ फ्रांस और जर्मनी ले गई। वहां इन्होंने फ्रांस और जर्मनी भाषा सीखी। फिर 17 साल की उम्र में एनी अपनी मां के पास वापस लौट आई। इसके बाद एनी ने एक धार्मिक मान्यताओं से जुड़े व्यक्ति से शादी की। लेकिन दोनों के विचार आपस में न मिलने की वजह से उनकी शादी ज्यादा लंबी नहीं चली।

एनी 16 नवंबर सन् 1893 को मद्रास के अडयार में थियोसोफिकल सोसायटी के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आई थीं। साल 1898 में उन्होंने वाराणसी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की। उसके बाद साल 1917 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) की अध्यक्ष बनीं। पहले विश्व युद्ध (World War) के समय में एनी ने साप्ताहिक समाचार पत्र 'कॉमनविल' (Common ville) की स्थापना की थी। इसी दौरान उन्होंने 'मद्रास स्टैंडर्ड' को खरीदा और उसे 'न्यू इंडिया' (New India) नाम दिया। बेहद खुले विचारों वाली एनी बेसेंट हर बुराई के खिलाफ बिना कुछ सोचे समझे खुलकर आवाज उठाती थी। वह लंबे समय तक लंदन में सामाजिक गतिविधियों से जुड़ी रही। एनी का अडयार में 20 सितंबर 1933 को निधन हुआ था।

कुछ ऐसा था एनी का भारत से रिश्ता
उनके जीवन का एक मूल मंत्र कर्म था। इसी पर वह अपने उपदेश देती थी। वह भारत से इतनी ज्यादा प्रभावित हुई कि उसे अपनी मातृभूमि मानने लगी। एनी जन्म से आयरिश, विवाह से अंग्रेज और भारत को अपना लेने के बाद भारतीय थी। हमेशा महात्मा गांधी से लेकर उनके दौर के सामाजिक नेताओं ने उनकी प्रशंसा ही की। वह भारत को इतना अपना देश मानती थी कि आजादी के लिए हर बलिदान देने को तैयार थी।

एनी ने भारत में फैली सामाजिक बुराइयों जैसे जाति व्यवस्था, बाल विवाह और विधवा विवाह आदि जैसी कुप्रथा को दूर करने के लिए 'ब्रदर्स ऑफ सर्विस' संस्था बनाई थी। इस संस्था की सदस्यता के लिए एक प्रतिज्ञा पत्र भी तैयार किया गया था। जिसमें सदस्यता की कुछ शर्तें थी। सदस्यता की कुछ शर्ते इस प्रकार है..

1. मैं जात पात आधारित छुआछूत को बिल्कुल नहीं मानूंगा।
2. मैं अपने पुत्रों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले बिल्कुल भी नहीं करूंगा।
3. मैं अपनी पुत्रियों का विवाह भी 16 साल की उम्र से पहले नहीं करूंगा।
4. मैं पत्नी, पुत्रियों और अपने परिवार की दूसरी स्त्रियों को शिक्षा दिलाऊंगा और कन्या शिक्षा का प्रचार भी करूंगा।
5. मैं जन साधारण में शिक्षा का प्रचार करके सामाजिक-राजनीतिक जीवन में वर्ग पर आधारित भेदभाव को मिटाने की पूरी कोशिश करूंगा।
6. मैं सक्रिय रूप से उन सभी सामाजिक बंधनों का विरोध करूंगा जो विधवा- स्त्री के सामने आते है और उन्हें पुनर्विवाह करने से भी रोकते है।

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