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जानें कौन थे बलवंत सिंह, अंग्रेजी हुकूमत भी नहीं रोक पाई थी जिसके कदम

जानें कौन थे बलवंत सिंह, अंग्रेजी हुकूमत भी नहीं रोक पाई थी जिसके कदम

 

अंग्रेजों (British) की कठिन यातनाएं भी जिसके कदम नहीं रोक पाई कुछ ऐसे थे हमारे स्वतंत्रता सेनानी बलवंत सिंह (Balwant Singh)। आज (16 सितम्बर ) के दिन स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) बलवंत सिंह का जन्म हुआ था। बलवंत सिंह एक ऐसे योद्धा थे। जो 10 वर्ष तक अंग्रेजों की सेना में रहकर अपने देश के लिए लड़ते रहे। बलवंत सिंह ने देश की आजादी के हर कार्यक्रमों (Programme) में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सत्याग्रह (Satyagraha) के दौरान उन्हें 2 महीने की कठोर कारावास और अर्थदंड भी दिया गया। फिर भी उनकी आजादी का जुनून इतना गहरा था कि जेल की यातनाएं उस जुनून को रोक नहीं पाई।  

बलवंत सिंह का जन्म 16 सितंबर सन् 1882 में जालंधर जिले के खुर्दपुर गांव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय से शुरू की। 10 वर्ष तक अंग्रेजों की सेना में रहकर उन्होंने 1905 में सेना से त्यागपत्र दे दिया। उसके बाद वह धार्मिक क्रियाकलापों में लग गए। कुछ समय बाद वह अमेरिका से कनाडा गए। वहां उन्होंने भारत की दासता के कारण और जातीय भेदभाव से भारत से गए लोगों के साथ बहुत बुरा बर्ताव होते देखा। जिसके विरोध में उन्होंने आवाज़ भी उठाई। लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। उनको इससे यह विश्वास हो गया कि भारत से अंग्रेजों की सत्ता समाप्त करने पर ही इस भेदभाव का अंत हो सकता है। फिर बलवंत सिंह ‘ग़दर पार्टी’ के संपर्क में आए। वह ‘कामागाटा मारु’ जहाज से भारत के लोगों को कनाडा के तट पर उतारने का प्रयत्न करने वालों में शामिल थे। जब वह भारत आए तो उन्होंने पंजाब के लोगों को अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ संगठित करने का काम किया। वहां के लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल डायर ने लिखा भी था कि बलवंत सिंह पंजाब में राजद्रोह फैला रहे है।

जिस समय बलवंत सिंह बैंकाक गए हुए थे। उसी दौरान उन पर यह आरोप लगाया गया कि वह कनाडा के सिखों के विरुद्ध काम करने वाले हॉपकिन्स की हत्या में शामिल है। 1915 में उन्हें गिरफ्तार करके ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया गया। ‘लाहौर षड्यंत्र केस’ (Lahore Conspiracy Case) में भी उन पर मुकदमा चला और इसी दौरान मार्च, 1917 में उन्हें लाहौर जेल में फांसी दे दी गई।

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