हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के महासचिव महेश्वर चौहान ने कहा कि प्रदेश के अंदर 'पैंडेमिक एक्ट' को लेकर भी मौजूदा सरकार और प्रशासन दोहरी नीति और मापदंड अपना रहे हैं। हाल ही में शिमला के अंदर भाजपा के अग्रणी संगठन द्वारा आयोजित यज्ञ में पूरी तरह से 'पैंडेमिक एक्ट' के मापदंडों की धज्जियां उड़ाई गई और हर वह कार्य हुआ जोकि कोरोना महामारी के दृष्टिकोण से खतरनाक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस वैश्विक महामारी के दौरान भी धर्म और यज्ञों का राजनीतिकरण हो रहा है। आज जहां पूरे प्रदेश में मंदिरों के कपाट बंद है वहां दूसरी ओर भाजपा से संबंधित संस्थाएं 24 हवन कुण्ड बनाकर सैंकड़ों लोगों की उपस्थिति में यज्ञ करवा रही है। जब कांग्रेस पार्टी के लोग आम जनता से जुड़े हुए मुद्दों को लेकर सरकार को शांतिप्रिय तरीके से आगाह करने जा रहे हैं तो उन लोगों पर मुकदमें दर्ज करवाए जा रहे हैं और आज हिमाचल जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में हजारों लोगों के ऊपर एफआईआर दर्ज की गई है। हमारी सरकार और प्रशासन से मांग है कि क्या 'पैंडेमिक एक्ट' के अंदर इस तरह के धार्मिक आयोजन, वर्चुअल रैलीज और जो पिछले दिनों उद्दघाटन किए गए जिनमें सैंकड़ों लोग उपस्थित थे, क्या भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी संस्थाओं के लिए इस 'पैंडेमिक एक्ट' के तहत इन सब चीजों के लिए छूट है?
उन्होंने कहा कि क्या भविष्य में सरकार और प्रशासन कांग्रेस को भी ऐसे ही आयोजन आयोजित करने की अनुमति देगा? भारतीय जनता पार्टी राजनीति से प्रेरित होकर लोगों को यह संदेश देना चाहती है कि कोरोना काल में जो भी कार्य हो रहे हैं वह सब भारतीय जनता पार्टी के लोग कर रहे हैं और उसी कड़ी में यह आयोजन भी किया गया जोकि सरासर गलत है। हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और इस प्रदेश के सभी लोगों का विश्वास देवी-देवताओं में है। यदि यह सरकार और भाजपा सही मायने में हिमाचल प्रदेश से कोरोना भगाने के लिए महायज्ञ करना चाहती थी तो पूरे विश्व और देश को इस खतरे से बचाने के लिए क्या यह महायज्ञ हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठों में नहीं किया जा सकता था?
परंतु वहां भाजपा के पदाधिकारी यज्ञ नहीं कर पाते और भाजपा को राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाता। इसलिए भाजपा द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम जिसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने शिरक्त की, सीधा-सीधा नियमों का उल्लंघन है और सरकार और प्रशासन की दोहरी नीति को दर्शाता है, जिसकी कांग्रेस पार्टी घोर भर्त्सना करती है। हमारी सरकार और प्रशासन से मांग है कि यह मामला पूरी तरह से नियमों के खिलाफ था और इसमें संलिप्त संस्थाओं और नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की जानी चाहिए। प्रदेश सरकार ने इस कोरोना काल में जनता को राहत देने की बजाय अतिरिक्त बोझ लादें हैं। पहले सरकार ने भारी-भरकम बिजली व पानी के बिल लोगों को थमा दिए और फिर बिजली की दरों में भी बढ़ोतरी कर दी गई।
सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों को राशन की सब्सिडी से वंचित कर उनके मुंह से निवाला छीन लिया है और अब सरकार ने अपना तुगलकी चाबुक जनता पर चलाकर बसों के किराये में 25 प्रतिशत वृद्धि की है जोकि सरकार की तानाशाही का प्रमाण है। यह फैसला आम-जनमानस को प्रभावित करेगा इसलिए कांग्रेस पाटी इस फैसले की भर्त्सना करती है और हर स्तर पर इस फैसले का विरोध किया जाएगा।
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