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किसानों ने किया 24 घंटे की भूख हड़ताल का ऐलान, Mann ki Baat कार्यक्रम के दौरान बजाएंगे थाली

किसानों ने किया 24 घंटे की भूख हड़ताल का ऐलान, Mann ki Baat कार्यक्रम के दौरान बजाएंगे थाली

 

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे तथा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे।

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने आज (सोमवार) से भूख हड़ताल करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि सभी प्रदर्शन स्थलों पर 24 घंटे की भूख हड़ताल शुरू करने जा रहे हैं और हर प्रदर्शन स्थल पर 11-11 किसान रोजाना अनशन करेंगे. साथ ही सभी किसान संगठनों ने लोगों से 23 दिसंबर को किसान दिवस के मौके पर एक समय का भोजन ना ग्रहण करने की अपील की है.

प्रदर्शन कर रहे किसानों ने ऐलान किया है कि 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के मन की बात कार्यक्रम के वक्त बर्तन बजाएंगे. भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह दलेवाला ने कहा कि हम सभी से अनुरोध करते हैं कि जब तक पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन चलेगा सभी लोग थाली बजाएं.

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के आंदोलन के बीच कई संगठन ऐसे भी हैं, जो लगातार इन कानूनों का समर्थन कर रहे हैं. रविवार को मेरठ के हिंद मजदूर किसान समिति से जुड़े किसानों ने रविवार को मेरठ से गाजियाबाद तक ट्रैक्टर रैली भी निकाली. इसके बाद इन किसानों ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में ज्ञापन दिया. ज्ञापन सौंपते हुए समिति के किसानों ने कहा कि ये कानून किसान को और मजबूत करेगा. कृषि कानूनों के समर्थन के साथ ही इन किसानों ने कृषि मंत्री से किसानों के लिए ट्यूबवेल मुफ्त कराने की बात भी कही.

किसान आंदोलन को विदेशी चंदे मिलने की बात को लेकर आंदोलन में शामिल संगठनों ने अपनी नाराजगी जताई है. पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन उग्राहन ने केंद्र सरकार द्वारा संगठन के पंजीकरण की जानकारी मांगे जाने पर नाराजगी जताई है. अध्यक्ष जोगिंदर उगरान और इसके महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा है कि केंद्र सभी रणनीति का उपयोग कर रहा है, क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य चल रहे आंदोलन को हराना है.

दरअसल विदेशों से मिलने वाले चंदे को पाने वाले किसी भी संगठन का पंजीकरण होना अनिवार्य है. किसान एकता उग्राहन के अध्यक्ष ने बताया कि उन्हें पंजाब में उनके बैंक से एक ईमेल भेजा गया है, जिसमें कहा गया कि उन्हें विदेशों से प्राप्त दान के लिए अपने संगठन के पंजीकरण की जानकारी देनी होगी. उनका आरोप था कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को असफल करने के लिए बाधाएं पैदा कर रही है.


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