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दिल्ली धमाके में बड़ा खुलासा, पुलिस के रडार पर आए 15 डॉक्टरों के फोन बंद, जांच में जुटीं एजेंसियां 

दिल्ली धमाके में बड़ा खुलासा, पुलिस के रडार पर आए 15 डॉक्टरों के फोन बंद, जांच में जुटीं एजेंसियां 

 

Delhi Red Fort Blast: दिल्ली में लाल किले के पास हाल ही में हुए बम धमाके में जांच एजेंसियों को एक बड़ा सुराग मिला है। गिरफ्तार किए गए संदिग्ध डॉक्टरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDRs) और डॉ. मुज़म्मिल के मोबाइल फोन से एक बड़े नेटवर्क का पता चला है। सूत्रों के मुताबिक, एजेंसियों ने डॉक्टरों की एक लंबी लिस्ट बनाई है, जिसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ने और काम करने वाले डॉक्टर भी शामिल हैं। उमर के घर में हुए बम धमाके के बाद से इनमें से कई डॉक्टरों के फोन बंद हैं, और जांच एजेंसियां ​​उन्हें ट्रेस करने की कोशिश कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि जैश से जुड़े इन संदिग्धों के संपर्क में रहे एक दर्जन से ज़्यादा डॉक्टरों की तलाश चल रही है।

नूह में डॉक्टर गिरफ्तार

दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए धमाके की जांच अब हरियाणा के नूह तक पहुंच गई है। नूह से अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें दो डॉक्टर और एक MBBS स्टूडेंट शामिल हैं। तीनों फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। फिरोजपुर झिरका के डॉ. मोहम्मद, नूह शहर के डॉ. रिहान और पुन्हाना के सुनहेरा गांव के डॉ. मुस्तकीम को गिरफ्तार किया गया है। जांच एजेंसियों ने फिरोजपुर झिरका के अहमदबास गांव के रहने वाले डॉ. मोहम्मद को गिरफ्तार किया है। मोहम्मद ने अल फलाह यूनिवर्सिटी से MBBS की पढ़ाई पूरी की थी। करीब तीन महीने पहले उसने यूनिवर्सिटी में छह महीने की इंटर्नशिप पूरी की थी और नौकरी ढूंढ रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहम्मद को 15 नवंबर को अल फलाह यूनिवर्सिटी में ड्यूटी जॉइन करनी थी, लेकिन दिल्ली में धमाका उससे पहले ही हो गया।

यूनिवर्सिटी की ज़मीन की जांच होगी

इस सिलसिले में, फरीदाबाद डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने अल फलाह यूनिवर्सिटी की ज़मीन की पूरी जांच के आदेश दिए हैं। धौज गांव में मौजूद यह यूनिवर्सिटी करीब 78 एकड़ में फैली है। एडमिनिस्ट्रेशन अब यह पता लगाने में लगा है कि इस ज़मीन का कितना हिस्सा इस्तेमाल में है और कितना खाली है। पटवारी यूनिवर्सिटी की ज़मीन की पैमाइश कर रहे हैं। ज़मीन की लंबाई, चौड़ाई और बिल्डिंग्स की लोकेशन का पूरा हिसाब-किताब तैयार किया जा रहा है। सिर्फ़ ज़मीन की पैमाइश ही नहीं हो रही है, बल्कि एडमिनिस्ट्रेशन यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ज़मीन किससे और कितने में खरीदी गई थी। यूनिवर्सिटी यह भी रिकॉर्ड देख रही है कि ज़मीन खरीदने के लिए यूनिवर्सिटी को किसने और कितना पैसा दिया।


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