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कमी को बनाया सबसे मजबूती कड़ी, NDA ने कैसे की बिहार फतेह, जान लीजिए 5 बड़े कारण 

कमी को बनाया सबसे मजबूती कड़ी, NDA ने कैसे की बिहार फतेह, जान लीजिए 5 बड़े कारण 

 

Bihar Election Results 2025: बिहार में एनडीए के ऐतिहासिक जनादेश पर जहाँ राजनीतिक पंडित आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं, वहीं महागठबंधन की करारी हार पर भी चर्चा हो रही है, जो इसकी बड़ी खामियों को उजागर कर रही है। कई एग्जिट पोल में एनडीए की सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई थी, वहीं अब सवाल उठ रहे हैं कि एनडीए ने इतनी बड़ी जीत कैसे हासिल की। ​​राजनीतिक जानकारों के अनुसार, सत्तारूढ़ दलों ने चुनाव के दौरान सोच-समझकर रणनीति बनाई और उसे सफलतापूर्वक लागू किया।

कमज़ोरियाँ और मजबूती 

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष सरकार के खिलाफ प्रभावी ढंग से मुद्दे उठाने में विफल रहा। विपक्ष जिस रणनीति पर खेल रहा था, वह बेअसर साबित हुई। इसके अलावा, एनडीए की संभावित सबसे बड़ी कमज़ोरी—प्रवासी मज़दूरों का पलायन—भी उसके पक्ष में काम करने में विफल रही। एनडीए ने इसे एक अवसर में बदल दिया। जिन परिवारों में एनडीए के कर्मचारी कार्यरत थे, वहाँ की महिलाओं ने अपने पतियों को घर लौटने और एनडीए को वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया।

कथित तौर पर, भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बिहारी मज़दूरों से संपर्क करने के लिए कई बार भेजा गया। उनके साथ बैठकें की गईं और एक सूची तैयार की गई कि कितने प्रवासी श्रमिक चुनाव के दौरान मतदान करने के लिए घर लौटेंगे।

महिलाओं की ज़बरदस्त भागीदारी

इस चुनाव में महिलाओं का मतदान ऐतिहासिक रहा। बिहार के लगभग सात ज़िलों में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में 14 प्रतिशत या उससे ज़्यादा मतदान किया। सबसे ज़्यादा अंतर किशनगंज में 19.5 प्रतिशत दर्ज किया गया। मधेपुरा (14.20 प्रतिशत), दरभंगा (14.21 प्रतिशत), अररिया (14.33 प्रतिशत), गोपालगंज (17.72 प्रतिशत) और मधुबनी (18.4 प्रतिशत) में महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा मतदान किया। माना जा रहा है कि इस सक्रियता का एनडीए को फ़ायदा हुआ।

महागठबंधन की ग़लती

महागठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने चुनावों के दौरान "वोट चोरी" को एक बड़ा मुद्दा बनाया। पहले चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले, राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। राहुल गांधी की "वोट यात्रा" के दौरान, दरभंगा में उनके मंच से प्रधानमंत्री की माँ के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की घटना भी सामने आई, जिसे भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया और कांग्रेस से माफ़ी माँगी। ये विवाद महागठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हुए।

एनडीए का बूथ-स्तरीय प्रबंधन

चुनाव के दौरान एनडीए का बूथ-स्तरीय प्रबंधन बेहद मज़बूत रहा। भाजपा, जेडीयू, लोजपा-आर, हम और रालोसपा के बीच बेहतरीन समन्वय रहा। इसके विपरीत, महागठबंधन पूरे चुनाव के दौरान बिखरा हुआ नज़र आया। अंदरूनी कलह ने भी गठबंधन को काफ़ी नुकसान पहुँचाया। माना जा रहा है कि अगर महागठबंधन एकजुट होकर और बेहतर रणनीति के साथ चुनाव लड़ता, तो नतीजे बिल्कुल अलग हो सकते थे।


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