Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है, कुछ कार्य ही शेष हैं। वहीं अब राम स्तंभ लगाने की तैयारियां जोरो शोरों पर है। ऐसे में राजस्थान के माउंट आबू से 12 सौ किलोमीटर की दूरी तय करके सोमवार की दोपहर पहला रामस्तंभ आयोध्या पहुंचा है।
रामनगरी पहुंचा पहला राम स्तंभ का भव्य स्वागत किया गया, अशोक सिंघल फाउंडेशन और वेद विद्यालय के आचार्य दुर्गा प्रसाद गौतम व नारद भट्टराई ने वैदिक रीति रिवाजों के साथ स्तंभ का पूजन किया।
यह स्तंभ राजस्थान से 1200 किलोमीटर की दूरी तय कर अयोध्या पहुंचा है। स्तंभ की ऊंचाई 15 फीट है। श्री राम स्तंभ लगाने की शुरुआत अयोध्या के मणि पर्वत से होगी और यहां लगाए जाने वाला स्तंभ राजस्थान से अयोध्या पहुंच चुका है। अयोध्या के कार सेवक पुरम में स्तंभ का पूजन अर्चन कर स्वागत किया गया। आयोध्या में गुप्तारघाट, सूरजकुंड, भरतकुंड स्थलों पर ये स्तंभ लगाए जाने हैं।
लाल पत्थर से बना यह स्तंभ विशेष रुप से खास है जिस पर धूप हवा पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा इसके अलावा यह लगभग एक हजार वर्षों तक अक्षुण्य रहेगा। सभी पत्थर माउंट आबू में ही बनाए जाने हैं। आयोध्या से लेकर रामेश्वर तक हर स्थानों पर यह स्तंभ लागए जाने हैं। इस पर क्यूआर कोड भी अंकित होगा जिसे क्लिक करते ही भक्तों को पूरी जानकारी मिल जाएगी।
बता दें कि प्रदेश भर में ऐसे ही 290 स्थानों पर राम स्तंभ लगाए जाएंगे। यह स्तंभ उन जगहों पर लगाए जा रहा है जहां पर वनवास के दौरान श्रीराम के चरण पड़े थे। इन स्तंभों का लगाने का एकमात्र उद्येश्य है कि आगामी पीढ़ी को श्री राम की गाथा के बारे में बताना। इसके साथ ही जिस -जिस स्थान पर प्रभु राम गए हैं। उस स्थान से संबंधित जानकारियां बाल्मीकि रामायण में वर्णित श्लोक और उसके अर्थ स्थानीय भाषा में भी लिखे हुए हैं।
मणि पर्वत पर स्थापित किया जाएगा
पहला राम स्तंभ अयोध्या पहुंचा है, जिसे मणि पर्वत पर लगाया जाना है। इस स्थान के पीछे की मान्यता है कि सीता माता यहां कभी झूला झूला करती थीं। इन स्तंभों पर उन स्थान से जुड़ी जानकारियां स्थानीय भाषा समेत चार अलग-अलग भाषाओं में में भी लिखी होंगी। आयोध्या से रामेश्वरम तक प्रभु राम की जो वन गमन यात्रा रही है, उसको एक माला में पिरोने का संकल्प अशोक सिंघल फाउंडेशन ने लिया है।