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संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा, पढ़े पूजा- विधि, भोग, मंत्र और मां की आरती

संतान प्राप्ति के लिए ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा, पढ़े पूजा- विधि, भोग, मंत्र और मां की आरती

 

नवरात्रि के पांचवे दिन मां  स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मां स्कंदमाता को विद्यावाहिनी, माहेश्वरी, पार्वती, उमा और गौरी नाम से भी जाना जाता है। मां स्कंदमाता की पूजा करने से साधक का संतान प्राप्ति का मार्ग सुलभ हो जाता है। विद्यार्थीयों को मां बुद्धि और चेतना का वर देती है। मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां दुर्गा के सभी रुपों में मां स्कंदमाता ममता की मूर्त है। मान्यता है कि निसंतान दंपत्ति सच्चे मन से नवरात्रि के पांचवे दिन का व्रत रखते है तो उनकी सूनी गोद जल्द भर जाती है। आइए जानते हैं माता स्कंदमाता का स्वरूप, भोग, आरती और मंत्र...

मां की प्रिय वस्तुएं

मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें जिससे मां प्रसन्न होगी। मां को केले का भोज अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।

मां का स्वरुप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, उनके गोद में पुत्र स्कंदकुमार है। इनकी चार भुजाएं है और वे अपने हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं। स्कंद कुमार की माता होने के कारण देवी का नाम मां स्कंदमाता है।
इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। स्कंद कुमार की माता होने के कारण देवी का नाम मां स्कंदमाता है। स्कंद कुमार भगवान कार्तिकेय को ​कहते हैं।

मां स्कंदमाता के मंत्र

बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
पूजा मंत्र: ओम देवी स्कन्दमातायै नमः
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी। त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।।

मां स्कंदमाता की पूजा विधि

सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नाना करने के बाद मां स्कंदमाता की पूजा करें। पूजा करने से पहले पूजन स्थल को गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। मां को गुड़हल, गुलाब, अक्षत्, कुमकुम, धूप, दीप, नैवेद्य, गंध आदि चढ़ाएं। इस दौरान मां स्कंदमाता के मंत्रों का उच्चारण करें। मां को केले और बताशे का भोग लगाएं। पूजा करने के बाद मां का ध्यान करें और मां की आरती जरुर करें।

मां स्कंदमाता की आरती 

जय तेरी हो स्कंदमाता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी। जय तेरी हो स्कंदमाता
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा। जय तेरी हो स्कंदमाता
कहीं पहाड़ों पर है डेरा,कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे। जय तेरी हो स्कंदमाता
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं, चमन की आस पुराने आई। जय तेरी हो स्कंदमाता


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