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ATM पिन ज्यादातर 4 नंबर का ही क्यों होता है ? जानिए इसके पीछे की कहानी...

ATM पिन ज्यादातर 4 नंबर का ही क्यों होता है ? जानिए इसके पीछे की कहानी...

 

तकनीक के विकास से न सिर्फ लोगों का काम जल्दी बल्कि कम समय में ही हो जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण एटीएम मशीन है। पहले लोगों को बैकं से पैसे निकालने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता था तो लेकिन एटीएम मशीन के आने से अब लोगों का यह काम कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाता है। 

वहीं, एटीएम मशीन से पैसे निकालने के लिए हमें एक पिनकोड की जरुरत होती है बिना पिनकोड डालें आप मशीन से पैसे नहीं निकाल सकते है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एटीएम मशीन के पिन ज्यादातर चार नंबर का ही क्यों होता हैं? आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसी बारे में बताएंगे। 

आखिर एटीएम पिन 4 अंक के ही क्यों होते हैं 

जिन्होंने एटीएम मशीन की खोज की वह व्यक्ति स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक जॉन एड्रियन शेफर्ड बैरन थे। जॉन ने एटीएम मशीन का अविष्कार साल 1969 में किया था। जब उन्होंने मशीन का पिन कोड बनाया तो वह 6 अंकों का ही बनाया था। 

वैज्ञानिक जॉन ने जब एटीएम मशीन बनाकर इसमें कोडिंग सिस्टम लगाया तो उन्होंने अपनी पत्नी कैरोलिन को एटीएम प्रयोग करने के लिए दिया था लेकिन उनकी पत्नी बार-बार 2 अंक भूल जाती थीं और उन्हें हमेशा 4 अंक ही याद रहते थे। ऐसे में जॉन ने अनुमान लगाया कि औसतन इंसानों का दिमाग 6 अंक की बजाय 4 अंक ही याद रख पाता है।

इसके बाद जॉन ने एटीएम पिन 6 अंकों की बजाय 4 अंकों का कर दिया। 4 अंकों के एटीएम पिन 0000 से 9999 के बीच होते हैं जिससे अलग-अलग 10000 पिन नंबर बनाए जा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि कहीं भी 6 नंबर का पिन इस्तेमाल नहीं किया जाता हो, दुनिया में कई देशों में आज भी 6 नंबर के एटीएम पिन का प्रयोग होता है।


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