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लापता CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव बरामद, सोमवार से थे लापता

लापता CCD के मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव बरामद, सोमवार से थे लापता

 

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के दामाद और कैफे कॉफी डे (CCD) के मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव बरामद कर लिया गया है। उनका शव मैंगलुरु के नेत्रावती नदी से बरामद हुआ है। अब सिद्धार्थ का मैंगलुरु के अस्पताल में पोस्टमार्टम होगा। उसके बाद उनका शव परिवार को सौंपा जाएगा। सिद्धार्थ सोमवार से लापता थे। पुलिस उनकी या उनके शव की तलाश कर रही थी।

कल पुलिस ने नेत्रावती नदी के आस पास सिद्धार्थ की तलाश शुरू की थी। उनकी तलाश के लिए 200 से अधिक पुलिसकर्मी, गोताखोर और 25 नौकाओं की मदद ली गई थी। बता दे सिद्धार्थ सोमवार को अपनी इनोवा कार से बिजनेस ट्रिप पर चिक्कमगलुरु गए थे। वहां से उन्हें केरल जाना था, लेकिन उन्होंने ड्राइवर से मंगलुरु के पास जेपीना मोगारू में नेशनल हाईवे पर अपनी कार रोकने के लिए कहा और नीचे उतर गए। ड्राइवर ने बताया कि जिस वक्त सिद्धार्थ कार से उतरे उस वक्त वह फोन पर किसी से बात कर रहे थे। इसके बाद ड्राइवर ने सिद्धार्थ का इंतजार किया, लेकिन जब वह आधे घंटे बाद भी नहीं लौटे। जब सिद्धार्थ आधे घंटे बाद भी वापस नहीं आए तो ड्राइवर ने उनको फोन किया, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ हो गया। ड्राइवर ने सिद्धार्थ के परिवार को तुरंत इस घटना की जानकारी दी।

बता दें कि इस घटना के बाद कल सिद्धार्थ का एक पत्र सामने आया था, जो उन्होंने अपनी कंपनी के निदेशक मंडल को लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि तमाम कोशिशों के बावजूद मैं मुनाफे वाला बिजनेस मॉडल तैयार करने में नाकाम रहा। मैंने लंबे समय तक संघर्ष किया, लेकिन अब और दबाव नहीं झेल सकता। एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर 6 महीने पुराने ट्रांजेक्शन से जुड़े मामले में शेयर बायबैक करने का दबाव बना रहा है। मैंने दोस्त से बड़ी रकम उधार लेकर ट्रांजेक्शन का एक हिस्सा पूरा किया था। दूसरे कर्जदाताओं द्वारा भारी दबाव की वजह से मैं टूट चुका हूं।

पत्र में सिद्दार्थ ने बताया था कि आयकर के पूर्व डीजी ने माइंडट्री की डील रोकने के लिए दो बार हमारे शेयर अटैच किए थे। बाद में कॉफी डे के शेयर भी अटैच कर दिए थे। यह गलत था जिसकी वजह से हमारे सामने नकदी का संकट आ गया। उन्होंने कहा था कि सभी गलतियों और सभी वित्तीय लेन-देनों के लिए मैं जिम्मेदार हूं। मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को मेरे ट्रांजेक्शंस के बारे में जानकारी नहीं है। कानून को सिर्फ मुझे जिम्मेदार ठहराना चाहिए। मैंने परिवार या किसी अन्य को इस बारे में नहीं बताया।

पत्र में उन्होंने आगे कहा था कि मेरा इरादा किसी को गुमराह या धोखा देने का नहीं था. एक कारोबारी के तौर पर मैं विफल रहा। उम्मीद है कि एक दिन आप समझेंगे। मुझे माफ कर दीजिए। हमारी संपत्तियां हमारी देनदारियों से ज्यादा हैं। इनसे सभी का बकाया चुका सकते हैं। सिद्धार्थ के पत्र से साफ है कि वह कारोबारी नुकसान से काफी परेशान थे।

 


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