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भारतीय महिलाएं इसलिए नहीं काटती साबुत कुम्हड़ा, जानिए इसके पीछे की मान्यताएं

भारतीय महिलाएं इसलिए नहीं काटती साबुत कुम्हड़ा, जानिए इसके पीछे की मान्यताएं

 

आपके घर में कई तरह की सब्जी बनती होगी। मम्मी ही सुबह जल्दी उठकर सब्जी काटती है और बनाती हैं। लेकिन जब कभी कुम्हड़ा बनाना होता है तो आपने घर में अक्सर देखा होगा कि उसे पहले पुरुष के हाथ से कटवाया जाता है। इसके बाद ही महिला इसे काटती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करने के पीछे का क्या कारण है? किस प्रकार की मान्यता जुड़ी हुई है। 
शायद नहीं। तो चलिए आज हम आपको बताते है कि जब कभी घर में साबुत कुम्हड़ा आ जाता है तो इसे महिलाएं क्यों नहीं काटती...

कुम्हड़ा कटवाने में ली जाती है मदद

जब कभी घर में साबुत  कुम्हड़ा आ जाता है तो घर में मम्मी से लेकर घर की लड़कियों के हाथ से भी इस कुम्हड़े को नहीं कटवाया जाता बल्कि सबसे पहले घर के किसी पुरुष या लड़के से इसे कटवाया जाता है। या फिर एक बार जब किसी पुरुष के हाथों से इस पर चाकू चलवा दिया जाता है तभी घर की महिला इसे काटती है और सब्जी बनाती है।

कुम्हड़ा को सीताफल, कद्दू के नामों से भी जाना जाता है। इसकी सब्जी खासतौर पर शादी विवाह या शुभ कार्यक्रमों पर अक्सर देखने को मिलती है। ज्यादातर यह उत्तर भारत में लोकप्रिय है। इस सब्जी को हर इलाके में अलग-अलग तरह से बनाया जाता है।

इसलिए महिलाएं कुम्हड़ा नहीं काटतीं

-कुम्हड़, कद्दू या सीताफल को भारतीय घरों में बहुत ही शुभ माना गया है। कुछ अनुष्ठानों में तो इसकी बलि भी दी जाती है। ऐसे अनुष्ठान जहां पशु की बलि दी जानी होती है, वहां अगर कद्दू काटा जाता है तो उसे भी पशु बलि के बराबर का माना जाता है।

-एक अन्य मान्यता है कि कद्दू बड़े बेटे जैसा होता है । इसलिए घर की महिलाएं कुम्हड़ा पर पहले चाकू नहीं चलाती हैं। अगर वह ऐसा करती हैं तो इसे बड़े बेटे की बलि देने जैसा माना जाता है।

    भारत एक ऐसा देश है जहां पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ही धर्म मान्यताएं और भाषा बोली में अंतर देखने को मिलता है। सभी समुदाय की अपनी अलग-अलग मान्यताएं विचार होते है। हमारा हिंदुस्तान भावनाओं से भरा हुआ है जहां धार्मिक रुप से पशुओं और वृक्षों की पूजा भी की जाती है। इसलिय इस तरह की मान्यताएं भावनात्मक पक्ष को दिखाता है। 

 


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