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Haryana में पंचायत चुनाव का रास्ता हुआ साफ, हाईकोर्ट ने सरकार को दी मंजूरी

Haryana में पंचायत चुनाव का रास्ता हुआ साफ, हाईकोर्ट ने सरकार को दी मंजूरी

 

हरियाणा (Haryana) में पिछले सवा साल से लंबित पंचायत चुनाव (Panchayat Election) कराने का अब पूरी तरह से रास्ता साफ हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab And Haryana High Court) ने प्रदेश सरकार को पंचायत चुनाव कराने की इजाजत दे दी है। अब प्रदेश सरकार नई आरक्षण व्यवस्था (Reservation System) से ही चुनाव करा सकेगी। इतना ही नहीं सरकार इसके लिए अपनी सुविधा के मुताबिक और तैयारी के हिसाब से पंचायत चुनाव की तारीख का ऐलान कर सकती है।

कब होंगे पंचायत चुनाव
लेकिन हरियाणा सरकार के पंचायतों में आरक्षण के फैसले के खिलाफ कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई लगातार जारी रहेगी। वहीं, शहरी निकाय चुनाव पर 10 मई को हाईकोर्ट में फैसला सुना सकती है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला अगर पंचायतों में आरक्षण के सरकार के फैसले के खिलाफ आता है तो सरकार को एक बार फिर नए सिरे से चुनाव कराने पड़ सकते हैं और अगर हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया तो हाल-फिलहाल होने वाले पंचायत चुनाव के नतीजों को मान लिया जाएगा।

आरक्षण के तहत होंगे चुनाव
बता दें कि प्रदेश में पिछले सवा साल से पंचायत चुनाव लंबित हैं, जिसका असर गांवों के विकास कार्य पर पड़ रहा हैं। पंचायत चुनाव में प्रदेश सरकार ने महिलाओं को 50 फीसदी और बीसीए-ए को आठ फीसदी आरक्षण दिया है, जिसका कुछ लोग याचिकाओं के माध्यम से विरोध कर रहे हैं। वहीं, सरकार इस आरक्षण व्यवस्था के तहत ही चुनाव करवाना चाहती थी। इसके लिए सरकार ने पंचायत चुनाव करवाने की इजाजत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने अनुमति दे दी है।

गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए कहा था कि प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल 23 फरवरी 2021 को खत्म हो चुका है। पंचायती राज एक्ट (Panchayati Raj Act) के दूसरे संशोधन में कुछ नए प्रावधान किए गए हैं। पहले कोरोना (Corona) के चलते चुनाव नहीं हो पाए थे, लेकिन अब स्थिति ठीक हो रही है।

किसने दायर की थी याचिका
गुरुग्राम (Gurugram) के प्रवीण चौहान व अन्य ने मिलकर 15 अप्रैल 2021 को हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 2020 में किए गए संशोधन को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट को बताया गया था कि अधिनियम में संशोधन करने के बाद अब पंचायत चुनाव में बीसी-ए श्रेणी को आठ फीसदी आरक्षण दे दिया गया है और न्यूनतम 2 सीटों का ही आरक्षण अनिवार्य है। याचिका में यह भी कहा गया कि हरियाणा में 8 प्रतिशत के अनुसार केवल छह जिले ही आते हैं, जहां दो सीटें आरक्षण के लिए बच जाती हैं। ऐसे तो 18 जिलों में सिर्फ एक सीट आरक्षित होनी चाहिए, जबकि सरकार नए प्रावधानों के मुताबिक न्यूनतम दो सीटें अनिवार्य करना चाहती है।
 

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