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विभाग कसेगा नकेल : खाद व यूरिया के साथ किसानों को जबरन अन्य दवाई नहीं दे सकते विक्रेता

विभाग कसेगा नकेल : खाद व यूरिया के साथ किसानों को जबरन अन्य दवाई नहीं दे सकते विक्रेता

 

कभी मौसम की बेरूखी तो कभी मौसम की मार झेलने वाले किसानों को इन दिनों दुकानदारों की तानाशाही का सामना करना पड़ रहा है। यूरिया व खाद के कट्टे प्राइवेट दुकानों से खरीदने पर किसानों को उन कट्टों के साथ जबरदस्ती अन्य दवाईयां भी साथ में दी जा रही है। जिससे किसानों को खाद व यूरिया के कट्टों के साथ जबरन दी जाने वाली दवाओं का आर्थिक बोझ वहन करना पड़ रहा है। कृषि मंत्री व विभाग के संज्ञान में आने के बाद अब विभाग ने ऐसे दुकानदारों पर नकेल डालने की योजना तैयार कर ली है जो किसानों को जबरन दवा थोंप रहे हैं। किसानों को कट्टों के साथ दवा भी वो दी जा रही है जिसका प्रयोग किसान फिलहाल नहीं कर पाएंगे।

कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. आत्माराम गोदारा ने कहा है कि उनके पास तथा कृषि मंत्री के पास इस तरह की अनेक शिकायत आई हैं कि जब भी कोई किसान बाजार से डीएपी या यूरिया लेने जाता है तो ऐसे में उक्त दुकानदार किसानों को जिंक,सल्फर या अन्य किसी भी तरह की दवाई जबरदस्ती दी जा रही है। इसकी जांच करवाने के लिए तथा दुकानदारों पर शिकंजा कसने के लिए विभाग ने तीन टीमों का गठन किया है तथा यह टीमें बाजार में जाकर दुकानों पर औचक निरीक्षण करेगी तथा किसी भी दुकानदार ने अगर जबरदस्ती डीएपी व यूरिया के साथ अन्य दवा देने का प्रयास किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

कृषि मंत्री के आदेशानुसार किया गया टीमों का गठन

कृषि मंत्री जेपी दलाल के आदेशानुसार कृषि विभाग ने तीन टीमों का गठन किया है जो कि बाजार में जाकर सभी दुकानदारों की जांच करगें। यदि कोई भी दुकानदार अनियमितता करता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी भी खाद्य व बीज बेचने वाले दुकानदार कि शिकायत विभाग के पास आई तो विभाग उस दुकानदार पर जुर्माना लगाएगा व दुकानदार का लाईसेंस भी जब्त कर सकता है।

पैक्स के पास उपलब्ध नहीं है यूरिया व डीएपी

सूत्रों की माने तो इस समय पैक्स सोसायटी के पास डीएपी व यूरिया खाद उपलब्ध नहीं है। इसके चलते किसानों को मजबूरी वश दुकान से खरीदारी करनी पड़ रही है। इस बात का फायदा उठाकर दुकानदार यूरिया व खाद के कट्टों के साथ 150 से 200 रुपये की अतिरिक्त दवा साथ दे रहे हैं। इसमें दवा भी किसान की मर्जी के हिसाब से नहीं दी जा रही है बल्कि दुकानदार को जिस दवा में ज्यादा मुनाफा मिलता है उसे ही दिया जा रहा है। दुकानदार को इस बात का भी कोई मतलब नहीं है कि वो किसान को जो दवा दे रहा है वो किसान के प्रयोग में आएगी या नहीं। इस मानसिक व आर्थिक परेशानी से निजात दिलाने के लिए अब कृषि विभाग ने कमर कस ली है।

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