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ज्ञानवापी मामले पर बहस खत्म, कोर्ट कमिश्नर रहेंगे या नहीं फैसला आज

ज्ञानवापी मामले पर बहस खत्म, कोर्ट कमिश्नर रहेंगे या नहीं फैसला आज

 

अदालत में ज्ञानवापी (Gyanvapi) प्रकरण में कोर्ट कमिश्नर को हटाने की अपील पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की बहस बुधवार को पूरी हो गई। कोर्ट ने दो घंटे तक बहस को सुनने के बाद 12 मई की तिथि को फैसला सुनाने के लिए तय कर दी।

बिते दिन लगातार दो घंटे तक चली लंबी बहस में वादी पक्ष के वकील सुधीर कुमार त्रिपाठी, वादी राखी सिंह और विश्वनाथ मंदिर न्यास के अधिवक्ताओं ने विपक्षी अधिवक्ता पर कोर्ट का वक्त बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्षी अधिवक्ता कोर्ट कमिश्नर के बदलने पर बहस करने की बजाय मंदिर-मस्जिद (Mandir-Masjid) की बात कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कमीशन की कार्यवाही में मस्जिद के अंदर जाने का आदेश नहीं वाले तर्क को मिथ्यापूर्ण बताया। वहीं विपक्षी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Inazaniya Masajid Committee) के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने दोबारा से कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलने की मांग उठाई।

वादी पक्ष की ये है दलील
वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट में कहा कि अदालत ने विग्रहों की वस्तुस्थिति को जानने की बात कही है। अब विग्रह कहां हैं, यह तो कमीशन की कार्यवाही पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगा। वादी राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौर व विपक्षी काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अधिवक्ता अनूप द्विवेदी ने इस पर कहा कि विपक्षी बेवजह जिरह को खींच रहे हैं। लिहाजा, उनके आवेदन पर कोई विचार न हो।

उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन
जिरह के दौरान विपक्षी अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि मस्जिद परिसर के भीतर एंट्री करना उपासना स्थल अधिनियम-1991 का पूरी तरह से उल्लंघन है। साथ ही जिस आराजी संख्या 9130 पर कोर्ट कमिश्नर तहखाना की बात कर रहे हैं, उनकी न तो सर्वे से पहले चौहद्दी तय की गई और न ही कोई निर्धारण हुआ। इसलिए मस्जिद में एंट्री वर्जित है। विपक्षी अधिवक्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर मंदिर के ऊपरी हिस्से को तोड़कर गुंबद का निर्माण किया गया है तो क्या कभी कोर्ट में गुंबद को अतिक्रमण मानते हुए अवैध कब्जा के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है?

ज्ञानवापी में जिम्मेदारियां अलग-अलग- डीजीसी
जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय (Civil Mahendra Prasad Pandey) ने वादी के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें जिला प्रशासन पर कार्यवाही में मदद न करने की बात बोली गई थी। डीजीसी ने कोर्ट को बताया कि पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद जिम्मेदारियां आपस में बंट गई हैं। ज्ञानवापी परिसर के रखरखाव की जिम्मेदारी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। वहां की ताला-चाबी की जिम्मेदारी भी कमेटी के पास ही है। वहीं, परिसर के अंदर की सुरक्षा सीआरपीएफ (CRPF) के हाथ में है। इस पर जज ने पूछा कि क्या सीआरपीएफ जिला प्रशासन के आदेश का पालन नहीं करता है? डीजीसी ने कहा कि शासन-प्रशासन और सरकार अदालत के सभी आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कोर्ट से सभी के लिए अलग-अलग आदेशों को जारी करने का आग्रह किया।

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