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सुपर 30 ने लाइव ट्यूटरिंग एप लॉन्च किया, लाखों छात्रों को मिलेगा फायदा

सुपर 30 ने लाइव ट्यूटरिंग एप लॉन्च किया, लाखों छात्रों को मिलेगा फायदा

 

नई दिल्ली: सुपर 30 एक ऐसा नाम जिसने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की कई इबारतें रची हैं। इस संस्था की सफलता से प्रेरित होकर बॉलीवुड ने इसपर एक फिल्म भी बनाई है। और अब इसके एक पूर्व छात्र, जिसका सपना अपने शिक्षक के सपनों से मेल खाता है, ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के छात्रों को सुपर 30 जैसा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है।

बिहार की राजधानी पटना के निवासी और साधारण से बैकग्राउंड से आने वाले इमबेसात अहमद ने 2015 में आईआईटी खड़गपुर से फिजिक्स में इंटीग्रेटेड मास्टर कोर्स पूरा किया। अहमद जब अपने इंजीनियरिंग कोर्स के दूसरे साल की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्होंने अपने जैसे बैकग्राउंड से आने वाले छात्रों को पढ़ाने और उनके सपनों को नई उड़ान देने की ठानी।

इस नायाब पहल के आठ साल बाद यानि 2020 में अहमद ने अपना एडटेक स्टार्टअप फिलो लॉन्च किया। कोविड महामारी के कारण छात्र तब घर पर ही रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे, उसी समय दूसरे एडटेक प्लेटफॉर्म भी स्कूलों की तरह ही लाइव क्लासेस चला रहे थें।

कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के प्रति निवेशकों की उत्साहपूर्ण भावना को कैश करते हुए एडटेक कंपनियों ने आस-पड़ोस के ट्यूटर्स और कोचिंग क्लासेस को खत्म करके हर घर में सेलिब्रिटी टीचर्स को पहुँचाने का काम शुरू कर दिया था। लेकिन इन सबके कारण छात्रों और शिक्षक के बीच होने वाली बातचीत कहीं खो सी गई थी। एक तरफा संवाद छात्रों को बोझिल सा लगने लगा था।

इसमें पर्सनल टच की भारी कमी थी और डिजिटल पढ़ाई के इस माध्यम में संकोच, डर, आत्मविश्वास की कमी जैसे तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था जो अक्सर छात्रों के सीखने के रास्ते में रोढ़ा बनते हैं।

इस खाई को पाटने के लिए फिलो ने 'सुपर 30 के चरित्र' को अपनाया, जिसमें शिक्षक सभी छात्रों को बिना किसी पक्षपात के पूरा समय देते हैं। इमबेसात अहमद ने इस बात पर जोर देकर बताया कि पड़ोस में चलने वाली ट्यूशन की तुलना में फिलो यूजर्स को कम पैसों में वर्ल्ड क्लास वन-टू-वन ट्यूशन की सुविधा मिलती है।

अहमद ने, को-फाउंडर्स रोहित कुमार और शादमान अनवर के साथ मिलकर, एक ऐसी तकनीक का आविष्कार किया है जो छात्रों को 60 सेकंड के अंदर एक्सपर्ट ट्यूटर्स के साथ वन-ऑन-वन जोड़ता है। फिलो के पास भारत और अमेरिका में टेक्नोलॉजी पेटेंट हैं।

अहमद ने बताया कि "फिलो दुनिया का पहला और इकलौता लाइव इंस्टेंट ट्यूशन प्लेटफॉर्म है, जिसका लक्ष्य सभी को शिक्षा का समान अवसर मुहैया कराना है। हमारी विभेदित तकनीक का मकसद उस भेदभाव से छुटकारा पाना है जो सीखने की समझ और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर की जाती है।

"हम छात्रों पर बेहतरीन, बहुत अच्छा या अच्छा का ठप्पा नहीं लगाते हैं। हमारी दिलचस्पी केवल इसी बात में है कि क्या हम हर एक छात्र की सीखने की ज़रूरतों को पूरा कर पा रहे हैं या नहीं। और इस मकसद को पूरा करने के लिए, फिलो ट्यूटर्स चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं।

फिलो इस समय 15 देशों में अपनी सेवाएं दे रहा है और हर रोज़ 1 लाख से ज़्यादा लर्निंग सेशन आयोजित कर रहा है। 60 हजार ट्यूटर्स के साथ, कंपनी के पास दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूटर पूल मौजूद है। फिलो को गूगल प्ले द्वारा हाल ही में आयोजित यूज़र्स च्वाइस एप अवार्ड्स 2022” में बेस्ट एप फॉर पर्सनल ग्रोथकैटेगरी में विजेता के रूप में चुना गया है।

अहमद की ज़िंदगी में बदलाव का वो पल तब आया जब वह जम्मू और कश्मीर के दूरदराज के गांवों के छात्रों को पढ़ा रहे थे। अहमद ने बताया कि साल 2018 में जब वो छात्रों को फिजिक्स पढ़ा रहे थे तो उस दौरान एक छात्र ने कहा, "सर, आप क्लास में जो पढ़ाते हैं, उसे मैं सॉल्व कर लेता हूं, लेकिन जब मैं घर पर अकेला इन प्रैक्टिस प्रॉब्लम्स को हल करने बैठता हूं तो असहाय महसूस करता हूं। काश आप मेरे साथ घर पर भी होते।

 अहमद की माने तो उनके दशक भर के शिक्षण अनुभव ने उन्हें जम्मू - कश्मीर के इस बच्चे की तरह देश भर में मौजूद लाखों छात्रों को समझने की गहरी परख दी है, जिन्हें अपने शहर या आस-पास एक समर्पित लर्निंग इकोसिस्टम नहीं मिल पाता। "खुद से पढ़ाई करने को और अधिक असरदार बनाने" की इच्छा से प्रेरित होकर, फिलो ने एक स्वदेशी तकनीक विकसित की है जो यह पक्का करती है कि कोई भी छात्र खुद से पढ़ाई करते समय किसी समस्या का सामना करते वक्त कहीं भी फंसे या अटके नहीं।

 ग्रीक में फिलो का मतलब होता है मित्र या दोस्त। अहमद ने बताया कि फिजिक्स में भौतिक अवधारणाओं को दिखाने के लिए ग्रीक अक्षर का इस्तेमाल होता है। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न ब्रांड का नाम ग्रीक में हो। 

केवल एक दोस्त आपको मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिए हर कठिनाई का सामना कर सकता है। अपने शिक्षण कैरियर में, मुझे यह एहसास हुआ कि शिक्षकों को अपने छात्रों के साथ उस दोस्तकी तरह ही पेश आना चाहिए।


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