होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
सेहत
नॉलेज
फैशन/लाइफ स्टाइल
अध्यात्म

 

सुप्रीम कोर्ट के 92 हजार करोड़ देने के आदेश के झटके से टेलीकॉम कंपनियों में खलबली

सुप्रीम कोर्ट के 92 हजार करोड़ देने के आदेश के झटके से टेलीकॉम कंपनियों में खलबली

 

एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले से पूरे टेलीकॉम सेक्टर में खलबली मच गई है। टेलीकॉम उद्योग की शीर्ष संस्था सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि उद्योग पहले से ही चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा हुआ है। ऐसे में यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के इस झटके से उद्योग जगत उबर पाएगा या नहीं।

टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल का कहना है कि शीर्ष अदालत के इस फैसले से उद्योग की व्यवहार्यता ही खत्म हो जाएगी। वहीं, वोडाफोन आइडिया का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की संभावनाओं पर विचार करेगी। हालांकि फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कह दिया है कि अब इस मामले पर कोई और मुकदमेबाजी नहीं होगी।

फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए भारती एयरटेल ने कहा, टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों ने सेक्टर को स्थापित करने पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। वे अपने ग्राहकों को विश्वस्तरीय सेवा मुहैया करा रही हैं। यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब पूरा सेक्टर वित्तीय दबाव में है। इस फैसले से पूरे सेक्टर की व्यवहार्यता पर बुरा असर पड़ेगा। एयरटेल का कहना था कि जिन 15 टेलीकॉम कंपनियों पर इस फैसले का असर होना है, उनमें से इस वक्त निजी क्षेत्र में सिर्फ दो कंपनियां परिचालन में रह गई हैं।

टेलीकॉम कंपनियों को अपनी कमाई का एक हिस्सा लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क के मद में सरकार को देना होता है। इस शुल्क को एजीआर कहते हैं। टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच एजीआर में शामिल मदों को लेकर लगभग दो दशकों से मतभेद है। यह मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने एजीआर तय करने के सरकार के तरीके को वैध ठहराया। ऐसे में अब टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर के बकाया मद में सरकार को करीब 92,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।


संबंधित समाचार