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President Election 2022: जानिए कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति का चुनाव? यहां पढ़े पूरा प्रोसेस

President Election 2022: जानिए कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति का चुनाव? यहां पढ़े पूरा प्रोसेस

 

राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है। अब जल्द ही भारत को एक नया महामहिम मिलने वाला है। इस चुनाव के लिए आयोग ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर ये चुनाव कैसे होते हैं। कितने वोट पर राष्ट्रपति को चुना जाता है? और हां सबसे जरूरी, ये वोट वैल्यू का फंडा क्या है? तो आइए जानते इन सभी सवालों के जवाब...

वोट वैल्यू-
दरअसल, होता क्या है कि राष्ट्रपति चुनाव में 4800 के आसपास लोग ही हिस्सा लेते हैं, लेकिन जब नतीजा आता है तो वोट लाखों की संख्या में गिने जाते हैं। क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट की कीमत अलग होती है। इसमें हर राज्य के विधायक और सांसद की वोट वैल्यू में अंतर होता है। आइए जानते हैं कैसे उनकी काउंटिंग होती है।

– इसमें विधायक के वोट वैल्यू निकालने के लिए किसी राज्य की जनसंख्या से उसी राज्य के कुल विधायकों की संख्या को भाग कर दिया जाता है... जो संख्या आती है उसे फिर से एक हजार से भाग कर देने पर एक विधायक का मूल्यांकन निकल कर आ जाता है...  अब इस संख्या को राज्य के कुल विधायकों की संख्या से गुणा करने पर राज्य का वोट मूल्य निकाल लिया जाता है। इसी तरह देश के सभी राज्यों वोट मूल्यांकन निकाला जाता है।

उद्धरण-  राज्य की जनसंख्या- 83849905 / कुल विधायक- 403 = 208064
208064 / 1000 = 208 * 403 = 83824

अब सासद का वोट मूल्यांकन निकालने के लिए किसी भी राज्य के कुल विधायकों के वोट मूल्य को राज्य के कुल सांसदों से भाग कर दिया जाता है। जो एक संसद का वोट मूल्य होता है। उसी संख्या को कुल सांसदों से गुना करने पर राज्य के सांसदो का वोट मूल्य निकाल लिया जाता है।

उद्धरण- कुल विधायकों के वोट मूल्य - 559595 / कुल सांसद - 776 = 708
708* 776 = 540408

कितने वोट पर बनता है राष्ट्रपति?
राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं होता कि जिसे सबसे ज्यादा वोट मिले वो चुनाव जीत ही जीतेगा। इस चुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोट चाहिए होते हैं। इसके साथ ही पहले वोट हासिल करना होता है और उसकी काउंटिंग का प्रोसेस भी बिल्कुल अलग है। बता दें कि जब भी सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट देते हैं तो वे सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं चुनते हैं, बल्कि अलग अलग व्यक्तियों को प्राथमिकता देते हैं। अगर पहली बार की काउंटिंग में किसी उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा और आधे से ज्यादा वोट मूल्य मिलते हैं, तो वो जीत जाता है।

जैसे मान लीजिए अगर किसी उम्मीदवार को आधे से ज्यादा वोट नहीं मिलते हैं तो फिर से काउंटिंग की जाती है। इस रेस में उस कैंडिडेट को बाहर कर दिया जाता है, जिसे पहले चरण में सबसे कम वोट मिलते हैं। फिर उसके मिले वोटों में प्राथमिकता देखी जाती है और उन्हें अन्य उम्मीदवारों के हिस्से में जोड़ा जाता है। फिर यह प्रक्रिया चलती रहती है और जब तय वोट मूल्य तक पहले वोट पहुंच जाए तो वो विजयी माना जाता है।

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