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मां कात्यायनी की पूजा से दूर होगी विवाह की बाधाएं, ऐसे करें मां कात्यानी की पूजा

मां कात्यायनी की पूजा से दूर होगी विवाह की बाधाएं, ऐसे करें मां कात्यानी की पूजा

 

Chaitra Navratri:नवरात्री के छठे दिन मां कात्यानी की पूजा की जाती है। मां कात्यानी  शुभ योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनाने वाली माता हैं।  मां की आराधना करने से यश और कीर्ति में वृद्धि होती है तथा मुश्किल कामों में कामयाबी मिलती है। मां कात्यायनी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है।

तो यह कहना गलत नहीं होगा कि आज का दिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि मां कात्यानी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। चलिए जानते है मां कात्यानी की कृपा-दृष्टि प्राप्त करने के लिए भक्तों को किस प्रकार से मां की पूजा करनी चाहिए।  

विवाह संबंधी परेशानियां होगी दूर

जिन लोगों के विवाह में कोई परेशानी आ रही है तो उन्हें मां कात्यानी स्वरुप की पूजा करनी चाहिए क्योंकि मां कात्यानी का संबंध बृहस्पति ग्रह और आंशिक रुप से शुक्र ग्रह से है। जो व्यक्ति मां कात्यानी की पूजा करता है उनकी कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है।

मां का दिव्य आभा स्वरुप
मां की 4 भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के हाथों में तलवार और कमल सुशोभित है। मां का वाहन सिंह है। 

मां की पसंदीदा वस्तुएं
मां कात्यादयनी को पसंदीदा रंग लाल है। 
मां का पसंदीदा भोग शहद है। शहद का भोग लगाने से मां बेहद प्रसन्न हो जाती हैं।

मां कात्यानी पूजा-विधि

नवरात्रि के छठवें दिन भी सुबह -सवेरे जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर मां कात्यानी की पूजा करें। मां कात्यानी की पूजा करने से पहले पूजा के स्थान को गंगाजल से छिड़क कर शुद्ध कर लें। इसके बाद माता के आगे घी का दीपक जलाए। माता को पीले फूल और पीले नैवेघ अर्पित करें। साथ ही रोली, अक्षत, लाल चुनरी, धूप, दीप आदि चीजों को अर्पित करें। मां को शहद का भोग लगाए क्योंकि मां को शहद बहुत पसंद है। भोग लगाने के बाद मां की दीपक या कपूर से आरती उतारें। आप मां के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।


मां कात्यानी मंत्र

कंचनाभा वराभयं पद्मधरां मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते॥

चन्द्रहासोज्जवलकरा शाईलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

 

माता कात्यायनी आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
 


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