Niti Aayog: मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए दो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के पांच साल के अंतराल में 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आये हैं और गरीबों की संख्या में 14.96 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को National Multidimensional Poverty Index: A Progress Review 2023 नाम से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया। साथ ही आयोग ने सभी राज्यों की प्रगति की रिपोर्ट भी जारी की जिसमें उत्तर प्रदेश को में 3.43 करोड़ लोगों के साथ गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है, इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है।
India records a dramatic decline in #poverty headcount ratio from 24.85% to 14.96% in past 5️⃣ years.
— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023
UP, Bihar, and MP have recorded steepest decline in number of #MPI poor. #Amritkaal #ViksitBharat #DeshBadalRahaHai
#PovertyDecline #MPI pic.twitter.com/mKYHqeHVWr
Niti Aayog की इस रिपोर्ट के मुताबिक , उत्तर प्रदेश में पहले के मुकाबले गरीबी में कमी आई है। यहां तक की गरीबों की संख्या घटने के मामले में यूपी सभी राज्यों में आगे रहा है। उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख 72484 लोग बहुस्तरीय गरीबी के बाहर आ गए हैं। इसके चलते 2015-16 के मुकाबले 2019- 21 में कुल गरीबों की संख्या 37.66 से घटकर 22.93 हो गई है।
In 5 years, an unprecedented sustained developmental focus on health, nutrition and education helped 13.5 crore people escape multidimensional poverty as per National #MPI review 2023.
— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023
Uttar Pradesh takes lead in terms of poverty reduction with 34.27 million people exiting… pic.twitter.com/nAl7pnVAeU
Poverty में कमी वाले UP के दस जिले
महाराजगंज- 29.64
गोंडा- 29.55
.बलरामपुर- 27.90
कौशाम्बी- 25.75
खीरी-25.33
श्रावस्ती- 24.42
जौनपुर-26.65बस्ती- 23.36
गाजीपुर- 22.83
कुशीनगर- 22.28
चित्रकूट- 21.40
बता दें कि 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी अनुमान प्रदान करते हुए रिपोर्ट तैयार किया गया जिसमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं, और देश में इन सभी में सुधार देखे गए हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।