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Nirjala Ekadashi 2022: कब है निर्जला एकादशी? जानें इस व्रत के नियम और महत्व

Nirjala Ekadashi 2022: कब है निर्जला एकादशी? जानें इस व्रत के नियम और महत्व

 

Nirjala Ekadashi 2022:  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि रखा जाने वाला व्रत निर्जला एकादशी व्रत के नाम जाना जाता है। इस बार यह व्रत 10 जून को रखा जाएगा। तमाम व्रतों में एक निर्जला एकादशी का व्रत जिससे सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। वहीं इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। 
यह एकादशी व्रतों में सबसे कठिन होता है। क्योंकि इस व्रत में अन्न जल, फल नहीं ग्रहण किया जाता है। यह कोई साधारण व्रत नहीं इस व्रत को भी रखने के कुछ विशेष नियम हैं। जिनके पालन करने से ही निर्जला एकादशी व्रत फल मिलता है। 

निर्जला एकादशी व्रत की तिथि
10 जून 2022 शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी प्रात: 7.27 बजे तक उपरांत एकादशी तिथि प्रारंभ होगी। 11 जून 2022, शनिवार को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी प्रात: 5.46 बजे तक पश्चात द्वादशी रात्रि 3.24 बजे तक उपरांत त्रयोदशी। निर्जला एकादशी व्रत सबका। द्वादशी तिथि क्षय। 10 व 11 जून दोनों दिन एकादशी तिथि पहुंचने के कारण व्रत दोनों दिन रखा जा सकेगा। 

जानें निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत रखने और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है मन शांत रहता है, दुख और कष्ट दूर होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार साथ इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है।

क्या है निर्जला एकादशी व्रत के नियम
निर्जला एकादशी व्रत में व्रती को एक दिन पहले ही अर्थात दशमी तिथि को शाम को भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन केवल फल और तरल खाद्य पदार्थ जैसे पानी और जूस आदि ही ग्रहण करें। 
निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़ा पहन लें। 
घर के पूजा स्थल पर जाकर व्रत का संकल्प लें औप पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। 
इस दिन भगवान के नाम का जाप करें। 
किसी को अपशब्द न बोलें।
सबका विशेष कर महिलाओं और बुजुर्गों का सम्मान करें।
पूरी रात्रि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। 
व्रत के अगले दिन स्नान करके विधि पूर्वक पूजा करें और गरीब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।

निर्जला एकादशी व्रत का पारण 
एकादशी व्रत का पारण यदि विधिपूर्वक ना किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। इसमें शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। वहीं इस बार निर्जला एकादशी व्रत के पारण का समय 11 जून को सुबह 05:59 बजे से 08:29 बजे तक होगा। निर्जला एकादशी का पुण्य विशेष बताया गया है। मान्यता है कि, जो भी इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
 

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