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Labour Day 2020 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, जानिए इसका इतिहास और महत्‍व

Labour Day 2020 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस, जानिए इसका इतिहास और महत्‍व

 

हर साल 1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है। यह डे उन लोगों के नाम समर्पित है जिन्‍होंने अपने खून पसीने से देश और दुनिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन को लेबर डे और श्रमिक दिवस भी कहा जाता है। ये दिन पूरी तरह श्रमिकों को समर्पित है। इस दिन भारत समेत कई देशों में मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम किया जाता है।

ये दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया के कई देशों में छुट्टी होती है। इस मौके पर मजदूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद करते हैं हालांकि कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते इस बार इस तरह के आयोजन नहीं हो सकेंगे। 

मजदूर दिवस का इतिहास 

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई, जब अमेरिका में कई मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ था। यह बम किस ने फेंका इसका कोई पता नहीं है। लेकिन प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दी और इससे कई मजदूर मारे गए।

वही, शिकागो शहर में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। इसी के साथ भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में काम के लिए 8 घंटे निर्धारित करने की नींव पड़ी और तब से ही दुनिया के करीब 80 देशों में मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा। 

भारत में मजदूर दिवस का इतिहास 

देश में इसकी शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी। उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। भारत में मद्रास हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया और एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाए और इस दिन छुट्टी (Labour Day Holiday) का ऐलान किया जाए।

उस समय भारत में मजदूरों की जंग लड़ने के लिए कई नेता सामने आए जिनमें बड़ा नाम दत्तात्रेय नारायण सामंत उर्फ डॉक्टर साहेब और जॉर्ज फर्नांडिस का था। भारत में मजदूर दिवस के दिन सार्वजनिक अवकाश होता है और इसे यहां अंतरराष्‍ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्‍दी में इसे ‘कामगार’ दिन भी कहते हैं। 

मजदूर दिवस का महत्‍व 

भारत समेत सभी देशों में मजदूर दिवस का विशेष महत्‍व है। यह दिवस उन लोगों के नाम है जो इस दुनिया के विकास की रीढ़ हैं। यह दिवस याद दिलाता है कि अगर मजदूर न होते तो आधुनिकता की जिस चमक पर हम गर्व महसूस करते हैं वह अस्तित्‍व में ही नहीं होती। यह विकास, संपन्नता और ऐशो-आराम मजदूरों की ही देन है। ऐसे में हमें मजदूर दिवस के बहाने इन कामगर मेहनतकश लोगों का कोटि-कोटि धन्‍यवाद करना चाहिए। 

कैसे मनाया जाता है मजदूर दिवस 

श्रमिक दिवस यानि मजदूर दिवस के दिन विभिन्न श्रम संगठन या ट्रेड यूनियनें अपने सदस्‍यों के साथ अपनी मांगों को लेकर अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने के लिए इस दिन को मुफीद माना जाता है। इसके अलावा मजदूर दिवस के दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। बच्‍चों के लिए निबंध, वाद-विवाद और कला प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उन्‍हें इस दिन के महत्‍व के बारे में समझाया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन है। ऐसे में मजदूर दिवस से जुड़े सभी कामों को पहले ही रद्द कर दिया गया है।

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