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हरियाणा विस चुनाव: मेरा मसीहा ही मेरा कातिल निकला, अशोक तंवर के इस्तीफे की पूरी कहानी...

हरियाणा विस चुनाव: मेरा मसीहा ही मेरा कातिल निकला, अशोक तंवर के इस्तीफे की पूरी कहानी...

 

26 सालों के करियर को महज 26 मिनटों में ही ताक पर रख देने वाले अशोक तंवर के भीतर उस वक्त कितने तूफान उठ रहे होंगे, कितना आक्रोश उनके भीतर रहा होगा, उनके अंतर मन में ना जाने कितनी उथल-पुथल रही होगी जब उन्होंने मन ही मन ये फैसला लिया और फिर जो हुआ उस सैलाब में हरियाणा कांग्रेस की नाव डगमगाने लगी।

दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के वफादार नेताओं को पार्टी में साइडलाइन किया जा रहा है।

पहले प्रदेश अध्यक्ष का पद छिनना फिर नाराजगी, गुटबाजी, रार और वार-पलटवार दिन बीतते रहे और तंवर के तेवर तीखे होते रहे। फिर वो दिन भी आया जब 2 अक्टूबर को तंवर और उनके समर्थकों ने अपनी ही पार्टी की अध्यक्ष के घर के बाहर प्रदर्शन किया और अगले ही दिन पार्टी की हर कमेटी से रिलीज करने के लिए सोनिया गांधी को पत्र भी लिख दिया और सभी कमेटियों से इस्तीफा दे दिया। लेकिन शनिवार को जो हुआ उसने हरियाणा कांग्रेस में तहलका मचा दिया।

हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा क्या दिया सियासी गलियारों में हलचल मच गई। दरअसल टिकट बंटवारे को लेकर तंवर कुछ समय से नाराज चल रहे थे और अशोक तंवर ने पार्टी पर हरियाणा के सोहना विधानसभा सीट पर 5 करोड़ में टिकट बेचने का आरोप लगाया था। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से अनबन के चलते कांग्रेस ने अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को प्रदेश कांग्रेस का मुखिया बनाया। अशोक तंवर ने हाल ही में टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई थी।

अशोक तंवर ने हरियाणा कांग्रेस को 'हुड्डा कांग्रेस' बनाए जाने का भी आरोप लगाया, तंवर ने राहुल और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पर बोलने से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी की व्यवस्था में काफी कमियां हैं। उनका गुस्सा कांग्रेस के लोगों से है, पार्टी की विचारधारा से नहीं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे पर अशोक तंवर ने कहा था कि पांच-पांच करोड़ रुपये में टिकट बेच दिए गए। बता दें कि तंवर ने प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व पर पुराने लोगों को नजरअंदाज कर नए लोगों को टिकट देने का आरोप लगाया। शनिवार को तंवर ने ट्वीट कर लिखा कि पार्टी कार्यकर्ताओं से लंबे समय तक विचार-विमर्श के बाद मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला किया है।

दरअसल तंवर हरियाणा चुनाव के लिए राज्य में हुए टिकट के बंटवारे से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि बीते पांच सालों में जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया उन्हें टिकट बंटवारे के दौरान अनदेखा किया गया, वहीं जिन्होंने पार्टी के खिलाफ काम किया उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने तवज्जो दी।

बीते दिनों तंवर ने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी की सभी समितियों और जिम्मेदारियों से राहत देने के अनुरोध के साथ सोनिया गांधी को एक पत्र भेजा है, उस वक्त उन्होंने एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करने की बात कही थी।

हालांकि, पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने से पहले तंवर ने ट्विटर पर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने का ऐलान किया था और कहा था कि वो प्राथमिक सदस्य के तौर पर पार्टी के माध्यम से जनता की सेवा करते रहेंगे लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह चुके अशोक तंवर ने कांग्रेसी नेताओं पर जमकर हमला बोला, उन्होंने पार्टी और उसके नेताओं को लेकर कहा कि घर घर रावण है इतने राम कहां से लाऊं। उनका कहना था कि आज स्वार्थी नेताओं ने एक राष्ट्रीय पार्टी का यह हाल कर दिया है। तंवर ने साफ कर दिया कि विधानसभा चुनाव में उन नेताओं को अपने पैसे और बाहुबल का अहसास हो जाएगा, जिन्होंने पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

वहीं एक सवाल के जवाब में तंवर ने कहा कि मैं चुनाव में जाऊं या न जाऊं, लेकिन ये तय है कि वो उन नेताओं को सबक जरुर सिखाएंगे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी पर कब्जा किया हुआ है। शनिवार दोपहर को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के साथ लगते वीपी हाउस में अपने आवास पर बातचीत के दौरान तंवर ने साफ किया कि वे BJP या किसी दूसरे दल में नहीं जाएंगे।

अशोक तंवर ने अप्रत्यक्ष तौर पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी महासचिव और हरियाणा प्रभारी और सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द रहने वाले नेताओं पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव का नतीजा बता देगा कि वे पैसे और बाहुबल वाले लोग कितने बड़े हैं। उनका इशारा था कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बड़ी हार हो सकती है।

तंवर ने कहा जिन लोगों ने पार्टी को मारने का काम किया, उन्हें ही तव्वजो मिल गई। उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं, अब कम ही समय बचा है। चुनाव के नतीजे आने में दुनिया को यह बता देंगे कि कांग्रेस पार्टी ने जिन लोगों को तव्वजो दी है, जनता की नजर में उनकी क्या हैसियत है।

अशोक तंवर ने कहा कि अभी कांग्रेस पार्टी में बहुत से लोगों की राजनीतिक हत्याएं होना बाकी है, उन्होंने कहा कि मेरे जैसे कई लोगों की राजनीतिक हत्या हो चुकी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अब वो क्या बताएं वे खुद समझदार हैं। पार्टी के भीतर ही कई ऐसे लोग हैं, जो कांग्रेस को हरियाणा से ही नहीं, बल्कि देश से ही खत्म करना चाहते हैं।

अशोक तंवर ने ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने आजीवन राक्षसों वाले कर्म किए हैं, लेकिन फिर भी वे पार्टी के चहेते बने रहते हैं। पौने पांच साल विदेश में घूमते हैं और जब चुनाव सिर पर आता है, तो वे अपना हक जताने और पार्टी पर कब्जा करने के लिए आ जाते हैं। राहुल गांधी ने जिन नेताओं को तैयार किया था, आज उन्हीं की राजनीतिक हत्या हो रही है।

वहीं प्रदेश में चुनाव के मौके पर राजनीतिक दल जो सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला तैयार करते हैं, उसके तहत कांग्रेस पार्टी को तंवर की गैर-मौजूदगी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। एक दो नहीं, बल्कि दर्जनों सीटों पर पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है।

अनुसूचित जाति से आने वाले तंवर ने कई बार कहा था कि वो बहुत ही सामान्य परिवार से हैं। मेरी जाति उनके जितनी मजबूत नहीं है न पैसे में और न ही बाहुबल में, यही वजह है कि हुड्डा ने कांग्रेस आलाकमान को अपने कब्जे में किए रखा।

दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक की किलोई सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, और इस बार हुड्डा के लिए सीट निकालना आसान नहीं है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले ही कह चुके हैं कि इस बार किलोई सीट का चुनावी परिणाम दुनिया देखेगी। वहीं BJP ने हुड्डा को घेरने के लिए खास रणनीति तैयार की है, वहां सारा खेल अब जाति पर आकर टिक गया है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही उन्हें प्रदेश कांग्रेस के मुखिया के पद से हटा दिया गया था। मुंबई कांग्रेस के नेता संजय निरूपम की तरह अशोक तंवर ने भी कहा है कि कांग्रेस में राहुल गांधी के करीबियों को किनारे लगाया जा रहा है और उनके खिलाफ साजिश हो रही है। तंवर ने कहा कि उनके सामने पार्टी छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।

अशोक तंवर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग सिस्टम में अच्छे से स्थापित हैं, वे अच्छे से लोगों का दोहन करते हैं। वे एसी कमरों में बैठते हैं, विदेश यात्राओं पर जाते हैं और पांच साल पैसे कमाते हैं, चुनाव के ठीक पहले वे ऐसे अवतरित हो जाते हैं, जैसे देवी-देवता हों लेकिन उनके कर्म देवी-देवता वाले नहीं हैं, कर्म राक्षसी हैं।

अशोक तंवर यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि पार्टी में पैसे, ब्लैकमेलिंग और दबाव बनाने रणनीति काम कर रही है। तंवर ने पार्टी के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि इन नेताओं के साथ 'सेटिंग' ही टिकट पाने का सबसे महत्वपूर्ण मापदण्ड बन गया है, ऐसे में पांच साल मेहनत करने वाले कई कार्यकर्ता टिकट पाने से वंचित रह गए।

तंवर ने कहा कि पिछले पांच साल उन्होंने औऱ उनके साथियों ने खून पसीना एक करके कांग्रेस को बचाने का काम किया। कांग्रेस के खिलाफ साजिश करके उसे मारने वाले कौन थे, आपके सामने है, बचाने का काम हमारे साथियों ने किया। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अशोक तंवर ने ट्विटर पर भी विरोध जताया। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल की प्रोफाइल पिक्चर और कवर फोटो को काला कर दिया।

दरअसल अशोक तंवर कांग्रेस के लिए दलित चेहरा थे इसलिए उनको हटाकर कुमारी सैलजा को अध्यक्ष बनाया गया। जिससे पार्टी को दलित विरोधी नहीं कहा जाए, कुमारी सैलजा भी कांग्रेस में दलित समुदाय का बड़ा चेहरा मानी जाती हैं, वहीं तंवर ने कहा कि बड़े दुख के साथ पार्टी छोड़नी पड़ रही है। उनको भारतीय जनता पार्टी सहित कई पार्टियों के ऑफर आ रहे हैं। दूसरी ओर, तंवर के इस्तीफे के बाद उनके समर्थक कांग्रस नेताओं ने भी कांग्रेस छोड़ दी। रोतहक में कई कांग्रेस पदाधिका‍रियों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया।

दरअसल दुखी मन से सीने में उठते आक्रोश ने कांग्रेस से बागी हुए अशोक तंवर को बगावत करने पर मजबूर कर दिया। अशोक तंवर जब कांग्रेस छोड़ने का ऐलना कर रहे थे तो वे बेहद दुखी थे। शायद तभी उन्होंने कहा कि दुख के साथ कांग्रेस छोड़ रहा हूं और अपनी वाणी पर पूर्ण विराम लगाते हुए कहा कि मेरा मसीहा ही मेरा कातिल निकला।

हालांकि ये शब्द किसके लिए थे ये तो सब जानते ही हैं, लेकिन तंवर ने पार्टी छोड़ने के बाद जो कुछ कहा उन चंद शब्दों ने पूरी हरियाणा कांग्रेस में खलबली मचा दी। तंवर ने कहा कि दिवाली से कुछ दिन पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दिवाला निकालेगा। तंवर के कांग्रेसी अध्याय के आखिरी पन्ने में 26 साल के सफरनामे का दर्द भी था और जख्म के निशान भी।

 

 

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