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पहली बार बजट नहीं, पेश होगा ‘बही-खाता’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. सुब्रमण्यम ने कहा ये भारतीय परंपरा

पहली बार बजट नहीं, पेश होगा ‘बही-खाता’ मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. सुब्रमण्यम ने कहा ये भारतीय परंपरा

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आज पहला आम बजट पेश कर रही है। संसद में बजट पेश होने से पहले ही इस बार की खासियत सामने आ गई है।  बजट के दस्तावेज उन्होंने परंपरागत तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ब्रीफकेस में नहीं रखे, बल्कि इस बार बजट की पटकथा को मखमली लाल कपड़े से कवर किया गया है। इस तरह मोदी सरकार ने बजट से जुड़ी अंग्रेजों की पुरानी परंपरा को भी खत्म कर दिया है।

बैग में बजट की परंपरा 1733 में तब शुरू हुई थी जब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल बजट पेश करने आए थे और उनके हाथ में एक चमड़े का थैला था। इस थैले में ही बजट से जुड़े दस्तावेज थे। चमड़े के इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, उसी के आधार पर बाद में इस प्रक्रिया को बजट कहा जाने लगा।

 

 

ऐसा पहली बार हुआ है जब  लेदर का बैग और ब्रीफकेस दोनों ही सरकार के बजट से गायब हो गए हैं। बजट की इस नई परंपरा को बही-खाता बताया जा रहा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने कहा है कि यह भारतीय परंपरा है जो गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है। सुब्रमण्यम ने ये भी कह दिया कि यह बजट नहीं, बही-खाता है। यानी फ्रैंच भाषा के बुजेट शब्द के आधार पर लैदर बैग और सूटकेस में पेश किए जाने वाले आर्थिक खाके को बजट का जो नाम दिया गया उसे अब बही-खाता कहा जा रहा है।

 


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