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EPFO:सरकार ने PF पर ब्‍याज बढ़ाने का किया फैसला, 7 करोड़ लोगों की टिकी आस!

EPFO:सरकार ने PF पर ब्‍याज बढ़ाने का किया फैसला, 7 करोड़ लोगों की टिकी आस!

 

नई दिल्‍ली- अगर आप भी पीएफ खाताधारक (PF Account Holders)हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) के ट्रस्‍ट ने मंगलवार को वर्तमान वित्‍तवर्ष (2022-23) के लिए ब्‍याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है। बता दें कि अब EPFO के 7 करोड़ से अधिक खाताधारकों को 8.15 फीसदी का ब्‍याज मिलेगा।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टीज (CBT) की दो दिन चली बैठक के बाद पीएफ की ब्‍याज दरों में 0.05 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला किया गया। पिछले वित्‍तवर्ष में इसकी ब्‍याज दर 8.10 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 8.15 फीसदी हो गई है। इससे पहले पीएफ की ब्‍याज दर सबसे कम 1977-78 में 8 फीसदी रही थी।

वित्‍त मंत्रालय का फैसा होगा आखिरी
हालांकि ऐसा नहीं है कि EPFO के ट्रस्‍टीज की मुहर के बाद पीएफ खाते पर नई ब्‍याज दर लागू हो जाएगी। इसके लिए अभी सरकार की मंजूरी लेना भी जरूरी है। 2022-23 के लिए तय की गई ब्‍याज दर की वित्‍त मंत्रालय भी समीक्षा करेगा और उसकी मुहर लगने के बाद ही ब्‍याज का पैसा खाते में भेजने का रास्‍ता साफ होगा। गौरतलब है कि वित्‍तवर्ष 2021-22 के ब्‍याज का पैसा भी अभी तक पीएफ खाताधारकों को नहीं मिल सका है.

मंहगाई के चलते लिया फैसला, वरना...
कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार पीएफ खाते पर ब्‍याज दर को एक बार फिर घटाकर 8 फीसदी किया जाना है। लेकिन ट्रस्‍टीज को लगा कि महंगाई को देखते हुए खाताधारकों को ज्‍यादा ब्‍याज दिया जाना चाहिए। बैठक के पहले दिन केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव और ट्रस्‍टीज के बीच हायर पेंशन के मुद्दे पर भी बातचीत हुई। इसमें जानकारी दी गई कि ईपीएफओ योग्‍य सब्‍सक्राइबर को हायर पेंशन उपलब्‍ध कराने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।

2018-19 के बाद से घट रहा ब्‍याज
पीएफ पर ब्‍याज दर वित्‍तवर्ष 2018-19 के बाद से लगातार घटती जा रही है। बीते वित्‍तवर्ष में ब्‍याज दर 8.10 फीसदी किए जाने से सरकार को 450 करोड़ रुपये की बचत हुई थी। ऐसे में लग रहा था कि इस साल भी इतनी ही ब्‍याज दर रहेगी या फिर घटाकर 8 फीसदी कर दी जाएगी। 2018-19 में पीएफ पर ब्‍याज 8.65 फीसदी था, जो 2019-20 में घटाकर 8.50 फीसदी कर दिया गया। 2020-21 में भी ब्‍याज दर इतनी ही थी, जबकि 2021-22 में इसे घटाकर 8.10 फीसदी कर दिया गया था।


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