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Chhath Puja 2021: छठ के दूसरे दिन जानिए खरना का महत्व और पूजा विधि

Chhath Puja 2021: छठ के दूसरे दिन जानिए खरना का महत्व और पूजा विधि

 

नहाए-खाए के साथ ही सोमवार को छठ का महापर्व की शुरुआत हो गई है। अब दूसरे दिन यानी आज खरना किया जाएगा। बता दें कि खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी को मनाया जाता है। खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है। इसे लोहंडा नाम से भी जाना जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है। इस पर्व को बहुत कठिन माना जाता है इसलिए इसे बहुत सावधानी से किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्रती छठ के नियमों का अच्छे से पालन करती है। छठ माता उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

क्या है खरना का महत्व

छठ के दूसरे दिन व्रती शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा कर गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं। इस प्रसाद को शुद्ध तरीके से बनाया जाता है। खरना के दिन बनने वाला प्रसाद नए चूल्हे पर बनाया जाता है। इस खीर का प्रसाद को व्रती खुद अपने हाथों से ही पकाती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं सिर्फ एक ही समय भोजन करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शरीर के साथ-साथ मन भी शुद्ध हो जाता है।

ये है खरना की पूजन विधि

आज के दिन महिलाएं और छठ व्रती सुबह नाह कर साफ वस्त्र धारण करती हैं और नाक से लेकर माथे के मांग तक सिंदूर लगाती हैं। आज के दिन व्रती दिन भर व्रत रखती हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर के तौर पर प्रसाद तैयार करती हैं। उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा कर महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। उनके खाने के बाद ही इस प्रसाद घर के अन्य सदस्यों में बांटा जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। मान्यता है कि खरना पूजन के बाद ही घर में छठी मइया का आगमन हो जाता है।

छठ पूजा 2021 की प्रमुख तिथियां-
8 नवंबर- नहाय-खाए से छठ पूजा प्रारंभ
9 नवंबर- खरना
10 नवंबर छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य
11 नवंबर- उगते सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन

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