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नोटबंदी को हुए 3 साल पूरे, क्या हुआ था देश की अर्थव्यवस्था पर इसका असर

नोटबंदी को हुए 3 साल पूरे, क्या हुआ था देश की अर्थव्यवस्था पर इसका असर

 

आज से 3 साल पहले 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस फैसले का असर ऐसा हुआ कि मानो पूरे देश में भूकंप सा आ गया। देशभर में एटीएम, बैंको के बाहर लंबी लाइनें लग गई।

सत्ता पक्ष ने जहां फैसले को देशहित में बताया, तो वहीं विपक्ष ने जमकर आलोचना भी की। नोटबंदी के पीछे मोदी सरकार ने कालेधन का खात्मा करना, सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने जैसे कई वजहें गिनाई थीं।

लेकिन RBI के आंकड़े कहते हैं कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए 99.30 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैंक में वापस आ गए। वहीं नोटबंदी के बाद नकली नोट के मामले भी बढ़ते दिखे, रिजर्व बैंक के ही आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में जहां दो हजार के 638 जाली नोट पकड़ में आये थे, 2017-18 में इनकी संख्या बढ़कर 17,938 हो गई।

वही विपक्ष इस फैसले को सरकार की सबसे बड़ी नाकामी बताता है। बता दे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को यूपी की कमान सौंपी गई तो प्रचार के दौरान उनके और प्रधानमंत्री मोदी के बीच खूब बयानबाजी हुई। प्रियंका ने पीएम मोदी को नोटबंदी और जीएसटी पर चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली।

कांग्रेस ने महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनावों में भी नोटबंदी का जिक्र किया। मौका मिलने पर उसने भाजपा पर हमला बोला। अक्तूबर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के यवतमाल में हुई चुनावी रैली में एनडीए सरकार पर गलत आर्थिक नीतियों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी के पीछे नोटबंदी और जीएसटी जैसे गलत फैसले हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक देश में मौजूदा आर्थिक सुस्ती के लिए नोटबंदी को ही जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों के लिए भाजपा जिम्मेदार है। भारतीय अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने के पीछे प्रमुख कारण नोटबंदी ही है।

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