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25 साल बाद का इंसान: स्क्रीन का गुलाम या तकनीक का राजा?, 2050 के यूजर्स कैसे दिखेंगे?

25 साल बाद का इंसान: स्क्रीन का गुलाम या तकनीक का राजा?, 2050 के यूजर्स कैसे दिखेंगे?

 

Smartphone Addiction: आज की पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा स्मार्टफोन के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकता। हर दिन घंटों तक स्क्रीन पर स्क्रॉल करना, नोटिफिकेशन देखना और वर्चुअल दुनिया में खो जाना आम बात है। अगर यह आदत इसी तरह जारी रही, तो 25 साल बाद स्मार्टफोन एडिक्शन का प्रभाव न केवल मानसिक और सामाजिक जीवन पर, बल्कि शरीर और व्यक्तित्व पर भी गहराई से दिखाई देगा।

बंद कमरों में बिताएंगे समय 

सबसे पहले, शारीरिक बदलावों की बात करें। लगातार झुके रहने से “टेक नेक” (Tech Neck) की समस्या आम हो जाएगी, यानी सिर आगे झुका हुआ और पीठ मुड़ी हुई मुद्रा स्थायी रूप से शरीर का हिस्सा बन सकती है। आंखों पर लगातार स्क्रीन लाइट का असर पड़ने से “डिजिटल आई स्ट्रेन” और कमजोर दृष्टि लगभग हर एडिक्ट व्यक्ति में देखने को मिलेगी। लगातार बैठने की आदत मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों को और बढ़ा देगी। त्वचा की रंगत भी फीकी पड़ सकती है क्योंकि लोग बाहर धूप और ताज़ी हवा से दूर, बंद कमरों में ज्यादा समय बिताएंगे।

ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर पड़ेगा असर

मानसिक रूप से, ये यूजर्स और ज्यादा अस्थिर और चिंतित दिखाई देंगे। ध्यान केंद्रित करने की क्षमता (attention span) बेहद कम हो जाएगी, क्योंकि दिमाग लगातार नोटिफिकेशन और तेज़ कंटेंट के लिए तैयार रहेगा। डोपामीन की लत से “रियल लाइफ” के अनुभव फीके लगने लगेंगे। नींद की कमी और सोशल मीडिया की तुलना से आत्म-सम्मान (self-esteem) भी कमजोर होगा।

सामाजिक दृष्टि से, 25 साल बाद के स्मार्टफोन एडिक्ट यूजर्स शायद “डिजिटल बबल” में जी रहे होंगे — यानी असली लोगों से कम और वर्चुअल अवतारों या AI चैटबॉट्स से ज़्यादा बातचीत। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के बजाय, वे वर्चुअल रियलिटी (VR) या मेटावर्स में “डिजिटल रिश्तों” को ज्यादा महत्व देंगे।


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