53rd CJI Justice SuryaKant Challenges: भारत के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार (24 नवंबर) को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के तौर पर शपथ ली। वे जस्टिस बी.आर. गवई की जगह लेंगे और 9 फरवरी, 2027 तक काम करेंगे। उनका कार्यकाल 14 महीने का होगा, क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत फरवरी 2027 में रिटायर होंगे। एक जज के तौर पर, वे पहले भी कई बड़े राष्ट्रीय मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं और राष्ट्रीय हित के मामलों में आगे भी चुनौतियों का सामना करेंगे।
जस्टिस सूर्यकांत सिर्फ़ 38 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने थे। वे हरियाणा के मूल निवासी हैं। उनका जन्म 10 फरवरी, 1962 को हिसार में हुआ था। इसलिए वे इस पद पर सिर्फ़ 14 महीने ही काम करेंगे। इन 14 महीनों में, वे कई ऐसे मामलों का सामना करेंगे जो एक बड़ी चुनौती पेश करेंगे।
SIR और वक्फ एक्ट का मुद्दा एक बड़ी चुनौती होगी
SIR अभी पूरे देश में चल रहा है। कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुँच गया है। ऐसे में, CJI के तौर पर जस्टिस सूर्यकांत के लिए यह एक बड़ा केस होगा। इसी तरह, वक्फ एक्ट केस भी एक बड़ी चुनौती होगी।
तलाक-ए-हसन केस भी अहम
इसके अलावा, दिल्ली-NCR में प्रदूषण से जुड़ा एक केस भी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। इस मामले पर जस्टिस सूर्यकांत के फैसले पर सभी की निगाहें रहेंगी। इसके अलावा, तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई भी एक अहम मामला है। इस प्रथा के अनुसार, पति तीन महीने के अंदर एक बार तलाक बोलकर शादी खत्म कर सकता है। इस प्रथा की वैलिडिटी को चुनौती दी गई है।
बिहार SIR, आर्टिकल 370 और AMU केस में अहम फैसले
जस्टिस सूर्यकांत ने देश के लिए अहम मुद्दे बन चुके कई केस की सुनवाई में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 300 से ज़्यादा अहम फैसले सुनाए हैं, जिनमें से कई कॉन्स्टिट्यूशनल, एडमिनिस्ट्रेटिव और सोशल जस्टिस के मुद्दों से जुड़े हैं। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को सही ठहराया। बिहार SIR केस में, जस्टिस सूर्यकांत ने वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की जानकारी देने का भी निर्देश दिया था। उन्होंने सेक्शन 144, ट्राइबल माइनॉरिटीज़ एक्ट और शराब पॉलिसी केस की सुनवाई में भी अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज़मानत मिली थी।
पेगासस केस में अहम भूमिका निभाई
जस्टिस सूर्यकांत पेगासस जासूसी केस की सुनवाई करने वाली बेंच का भी हिस्सा थे। उस समय, मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर सरकार को अनलिमिटेड पावर नहीं दी जा सकतीं।
यहां से शुरुआत
जस्टिस सूर्यकांत 2018 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। उन्होंने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से लॉ की पढ़ाई की। बाद में उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से LLM किया। उन्होंने 1984 में हिसार डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लॉ की प्रैक्टिस शुरू की। फिर वे चंडीगढ़ चले गए और पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।