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नाक के बजाय मुंह से सांस लेना कितना खतरनाक? सेहत पर पड़ने वाला असर जान हिल जाएंगे!

नाक के बजाय मुंह से सांस लेना कितना खतरनाक? सेहत पर पड़ने वाला असर जान हिल जाएंगे!

 

Side Effects Of Mouth Breathing: कभी-कभी हम सुबह उठते हैं और महसूस करते हैं कि हमारा मुंह बहुत सूखा है या तकिए पर लार के धब्बे हैं। ये इस बात के संकेत हो सकते हैं कि हम रात में मुंह से सांस ले रहे थे, यानी नाक के बजाय मुंह से सांस लेना। यह सुनने में तो नॉर्मल लग सकता है, लेकिन लगातार ऐसा करने से सेहत पर कई तरह से असर पड़ सकता है। आम तौर पर, हमारा शरीर नाक से सांस लेने के लिए बना है। जब हम नाक से सांस लेते हैं, तो हवा पहले नाक के रास्ते से गुजरती है, जहाँ वह साफ होती है, गर्म होती है और उसमें नमी आती है।

नाक के अंदर मौजूद छोटे-छोटे बाल और बलगम धूल, प्रदूषण और बैक्टीरिया को फंसा लेते हैं। इससे फेफड़ों तक पहुँचने वाली हवा शरीर के लिए बेहतर होती है, लेकिन जब किसी भी वजह से नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है, तो शरीर अपने आप मुंह से सांस लेना शुरू कर देता है। अगर यह आदत लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसे माउथ ब्रीदिंग कहते हैं। तो, आज हम आपको बताते हैं कि कुछ लोग नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं और इसका उनकी सेहत पर क्या असर पड़ता है।

लोग नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं?

1. नाक बंद होना - सर्दी, एलर्जी या साइनस की समस्याओं के कारण नाक बंद हो जाती है। ऐसे मामलों में, नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता है, इसलिए शरीर मुंह का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है।

2. बढ़े हुए एडेनोइड्स या टॉन्सिल - बच्चों में, एडेनोइड्स या टॉन्सिल अक्सर बढ़ जाते हैं, जिससे नाक का रास्ता बंद हो जाता है। इससे भी लोग नाक के बजाय मुंह से सांस लेने लगते हैं।

3. नाक के अंदर बनावट में गड़बड़ी - अगर किसी को डेविएटेड सेप्टम या नेज़ल पॉलिप्स हैं, तो एयरवे ब्लॉक हो सकता है। इससे भी लोग नाक के बजाय मुंह से सांस लेने लगते हैं।

4. जबड़ा या चेहरे की बनावट - कुछ लोगों के चेहरे या जबड़े की बनावट ऐसी होती है कि उनका मुंह थोड़ा खुला रहता है, जिससे मुंह से सांस लेना आसान हो जाता है।

5. आदत या व्यवहार - कभी-कभी, बचपन में अंगूठा चूसने या लगातार मुंह खुला रखने जैसी आदतों से भी यह समस्या हो सकती है। 6. स्लीप एपनिया - यह नींद से जुड़ी एक समस्या है जिसमें नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट आती है। इस स्थिति में भी लोग मुंह से सांस लेने लगते हैं।

सेहत पर क्या असर होते हैं?

1. मुंह सूखना और सांसों से बदबू - लार हमारे मुंह को साफ और नम रखती है। जब हम मुंह से सांस लेते हैं, तो लार सूख जाती है, जिससे बैक्टीरिया पनपते हैं और सांसों से बदबू आती है। 2. दांत और मसूड़ों की बीमारियाँ - लार में ऐसे मिनरल्स होते हैं जो दांतों को मज़बूत रखते हैं। मुंह सूखने से कैविटी और मसूड़ों में सूजन हो सकती है। अगर यह लंबे समय तक चलता रहे, तो दांत ढीले भी हो सकते हैं।

3. नींद से जुड़ी समस्याएँ - मुंह से सांस लेने से नींद की क्वालिटी कम हो जाती है। इससे स्लीप एपनिया जैसी दिक्कतें हो सकती हैं, जिसमें रात में सांस लेने में रुकावट आती है और दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इससे दिन में थकान, चिड़चिड़ापन और ध्यान लगाने में मुश्किल होती है।

4. बच्चों में चेहरे और दांतों की ग्रोथ पर असर - अगर कोई बच्चा लगातार मुंह से सांस लेता है, तो उसका चेहरा लंबा और जबड़ा पतला हो सकता है। इससे दांत टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं और बाद में ऑर्थोडॉन्टिक ट्रीटमेंट की ज़रूरत पड़ सकती है।

5. ब्रेन फॉग और थकान - मुंह से सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता। नतीजतन, व्यक्ति को पूरे दिन सुस्ती और ब्रेन फॉग महसूस होता है।


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