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PM Mitra Scheme: पीएम मित्र योजना को मिली हरी झंडी, 20 लाख से भी अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार!

PM Mitra Scheme: पीएम मित्र योजना को मिली हरी झंडी, 20 लाख से भी अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार!

 

PM Mitra Scheme:  मोदी कैबिनेट की मीटिंग के बाद अनुराग ठाकुर और पीयूष गोयल ने इसमें हुई घोषणाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में पीएम मित्र योजना को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें करीब 4445 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पीयूष गोयल ने बताया कि गुजरात के समय से ही पीएम मोदी इस योजना के बारे में सोचते थे। इसके तहत देश भर में 7 टेक्सटाइल पार्क लगेंगे, जिनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 लाख से भी अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।

पीयूष गोयल ने कहा कि काफी पहले से ये कहा जा रहा है कि भारत को 5 एफ को कैप्चर करना चाहिए। यानी फार्म से फाइबर, फाइबर से फैक्ट्री, फैक्ट्री से फैशन और फैशन से फॉरेन। पूरी वैल्यू चेन को भारत में मजबूत बनाना चाहिए और भारत इसकी सेवा दुनिया को दे, लेकिन अभी ये सब अलग-अलग है। कॉटन गुजरात और महाराष्ट्र में पैदा होता है, वहां से तमिलनाडु जाता है, जहां स्पिनिंग होती है। प्रोसेसिंग के लिए राजस्थान, गुजरात जाता है, गारमेंटिंग दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, कोलकाता में होती है और निर्यात के लिए मुंबई और कांडला जाना पड़ता है। ये सारा कुछ अब इंटीग्रेटेड तरीके से हो सकेगा।

पीएम मित्र के तहत एक इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल वैल्यू चेन बनाने का फैसला किया है। इसमें 4445 करोड़ रुपये का अगले 5 साल में खर्च होगा। इसके तहत देश में 7 टेक्सटाइल पार्क बनेंगे। इससे 7 लाख लोगों को डायरेक्ट और 14 लाख लोगों को इनडायरेक्ट रोजगार मिलेगा। राज्यों से इसके लिए बात हो रही है। जो राज्य सस्ती जमीन, पानी देगा और लेबर आसानी से मिलेगी वहां पर ये पार्क लगाए जाएंगे। ये भी देखा जाएगा कि वहां टेक्सटाइल की मांग हो। कुछ नए पार्क होंगे और कुछ पुराने पार्क हो सकते हैं, जिन पर काम चल रहा है।

7 पार्क लगाने का अनुमानित खर्च 1700 करोड़ रुपये होगा। जो यूनिट शुरुआत में आकर बड़ा निवेश करेंगी, उन्हें पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मदद भी मुहैया कराई जाएगी। एक यूनिट को 3 साल में 30 करोड़ रुपये तक की मदद सरकार की तरफ से दी जा सकती है। कोशिश की जा रही है कि अधिक से अधिक निवेश यहां आए, विदेशी निवेश भी आए। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को भी तवज्जो दी जाएगी। इससे लोकल को ग्लोबल बनाने की कोशिशें की जाएंगी।

कोशिश की जा रही है कि अच्छी प्लॉटिंग हो, रिसर्च सेंटर हो, डिजाइन सेंटर हो, ट्रेनिंग सेंटर भी हो, मेडिकल सुविधाएं हों, काम करने वालों के लिए घर की सुविधा हो, वेयरहाउस भी हो, ट्रांसपोर्ट की सुविधा हो, होटल-दुकानें भी बनें। यानी इससे एक इंटीग्रेटेड सिस्टम बनाने की कोशिश है, जिसके जरिए एक ऐसा ईकोसिस्टम बन सके, जिससे सभी को एक-दूसरे से फायदा और मदद मिल सके।

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