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पंजाब में समाज सेवा से जुड़े लोगों ने शुरू की ‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था

पंजाब में समाज सेवा से जुड़े लोगों ने शुरू की ‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था

 

पंजाब में समाज सेवा में जुटे प्रबुद्ध लोगों ने पिछले कुछ वर्षों से ‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था बनाकर जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर अभियान शुरू किया है।

 

बता दें ‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था ने 2017 के राज्य विधानसभा के चुनावों के दौरान खेती, शिक्षा, स्वास्थ्य, चुनाव सुधार आदि मुद्दों पर सभी प्रमुख दलों के नेताओं को सांझे मंच पर बुला कर एक संवाद कराने का प्रयास किया था।

 

‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था के अनुसार ग्रामीण भाईचारे में पंचायत अभी भी एक संवैधानिक संस्था है। ये संस्था महसूस करती है कि वोट की राजनीति की वजह से गांवों का भाईचारा पूरी तरह से टूट चुका है। अपने आप से भी टूट चुके लोगों के कारण आत्महत्याएं, विदेश जाने के लोभ और नशों के सेवन से होने वाली घटनाएं थम नहीं रहीं। ऐसे मौके पर लोगों को शक्तिशाली बनाने का सपना दिखाए बिना किसी सार्थक अभियान को टिकाऊ बनाना असंभव सा हो गया है।

 

‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था के नेताओं का कहना है कि मनरेगा जैसी योजना भी इसके बिना सही रूप में लागू नहीं हो सकी क्योंकि इसके लाभपात्रों की पहचान और उसका लेबर बजट भी ग्राम सभा ने ही पारित करना होता है जो नहीं हो रहा। यह भी कानूनी प्रावधान है कि यदि सरपंच सभा नहीं बुलाता तो गांव के 20 प्रतिशत मतदाता स्वयं हस्ताक्षर करके भी ग्राम सभा बुलाने की मांग कर सकते हैं जो उसे बुलानी ही पड़ेगी या वे स्वयं भी ग्राम सभा बुला सकते हैं। इस प्रावधान का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है।

 

सूत्रों के अनुसार ‘पिंड बचाओ, पंजाब बचाओ’ संस्था अगले दो महीनों के दौरान इस मुद्दे को सब के सहयोग से पंजाब में उभारना चाहती है क्योंकि पंचायतें लोकतंत्र की पहली सीढ़ी हैं और पंचायत के मजबूत होने पर ही देश में ऊपर के स्तरों पर लोकतंत्र मजबूत होगा।

 


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