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पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने इमरान खान को हटाने के लिए किया गठबंधन, सेना को भी लिया निशाने पर

पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने इमरान खान को हटाने के लिए किया गठबंधन, सेना को भी लिया निशाने पर

 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ देश की विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। इमरान का तत्काल इस्तीफा मांगते हुए मुल्क की प्रमुख विपक्ष पार्टियों ने उनकी सरकार को हटाने के वास्ते देशव्यापी प्रदर्शन करने के लिए गठबंधन किया है। सर्वदलीय सम्मेलन में रविवार को 26 बिंदु वाले एक प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। इस सम्मेलन में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फज़ल (जेयूआई-एफ) और कई अन्य पार्टियों ने शिरकत की थी।

इस सम्मेलन की मेजबानी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने की थी। वही, सर्वदलीय बैठक के बाद संयुक्त पत्रकार वार्ता में जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फज़ल उर रहमान ने प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम से गठबंधन बनाने को राजी हो गई हैं ताकि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की हुकूमत के खिलाफ अक्टूबर से देशव्यापी प्रदर्शन शुरू किए जा सकें। प्रस्ताव में सेना का नाम लिए बिना आरोप लगाया गया है कि खान की सरकार को उसी संस्थान ने फर्जी स्थिरता दी है जिसने मौजूदा शासकों को सत्ता में लाने के लिए चुनाव में हस्तक्षेप किया था।

शक्तिशाली फौज का जाहिर तौर पर संदर्भ देते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि मुल्क के अंदरूनी मामलों में संस्थान की बढ़ती दखलअंदाजी बेहद चिंतनीय है और इसे देश की स्थिरता और संस्थानों के लिए खतरा बताया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक, प्रदर्शन चरणों में शुरू होंगे। पहले चरण में विपक्षी पार्टियां सभी चार प्रांतों में अक्टूबर में संयुक्त रैलियां करेंगी। दूसरा चरण दिसंबर में शुरू होगा, जिस दौरान विपक्ष देशभर में बड़ी रैलियां करेगा। इसके बाद अगले साल जनवरी में सरकार को हटाने के वास्ते इस्लामाबाद के लिए निर्णायक बड़ा मार्च शुरू होगा। 

विपक्ष ने यह भी मांग की कि फिर से चुनाव कराएं जाएं और पारदर्शी तरीके से कराएं जाएं और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव सुधार पारित किए जाएं। संसद को 'रबड़ स्टैंप' बताते हुए, पीडीएम ने घोषणा की कि विपक्ष विधायी प्रक्रिया में सरकार के साथ सहयोग नहीं करेगा। रहमान ने कहा कि संयुक्त प्रस्ताव में मुल्क में सरकार की राष्ट्रपति प्रणाली लाने की किसी भी कोशिश को खारिज किया गया है और संसदीय प्रणाली को मजबूत करने का संकल्प लिया गया है। 

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