Gumraah Review: Mrunal Thakur और Aditya Roy Kapoor स्टारिंग गुमराह' 2019 में आई तमिल फिल्म 'थड़म' की रीमेक है। दिलचस्प बात यह है कि तेलुगू में भी ये फिल्म 'रेड' नाम से बनी थी। अब वर्धन केतकर के डायरेक्शन में इस हिंदी रीमेक पर बड़ा सवाल ये है कि साउथ में आजमाया हुआ सफल नुस्खा, क्या हिंदी फिल्मों में भी उतना सफल होगा !
#Xclusiv... ‘GUMRAAH’ RUN TIME... #Gumraah certified ‘UA’ by #CBFC on 31 March 2023. Duration: 129.30 min:sec [2 hours, 09 min, 30 sec]. #India
— taran adarsh (@taran_adarsh) April 3, 2023
⭐ Theatrical release date: 7 April 2023.#AdityaRoyKapur #MrunalThakur pic.twitter.com/ZroS6ZidMC
मर्डर मिस्ट्री पर अधारित स्टोरी
फिल्म की कहानी एक बेहद ही थ्रिलिंग अंदाज में शुरू होती है। दिल्ली में रात को एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर का कत्ल हो जाता है। इस मर्डर केस की तहकीकात करने के लिए एसीपी यादव (रोनित रॉय) और एसआई शिवानी माथुर (मृणाल ठाकुर) लगे हुए हैं। बहुत माथापच्ची करने के बावजूद पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगता, मगर अंततः शिवानी की कोशिशों से पड़ोसी के एक कपल की सेल्फी मिलती है, जिसमें कातिल का चेहरा साफ नजर आ रहा है। उसी सबूत के आधार पर पुलिस अर्जुन सहगल(आदित्य रॉय कपूर) को गिरफ्तार कर लेती है।
कातिल को अपनी गिरफ्त में मानकर पुलिस इस केस को क्लोज करने ही वाली थी, तभी पुलिस के साथ शराब पीकर हाथापाई करने के जुर्म में रॉनी को पकड़कर लाया जाता है। रॉनी (आदित्य रॉय कपूर) की शक्ल देखकर पुलिस सकते में आ जाती है, क्योंकि वो अर्जुन सहगल का हमशकल है। जांच-पड़ताल में पुलिस उस वक्त और ज्यादा चक्कर में पड़ जाती है, जब कत्ल के सुबूत दोनों के खिलाफ मिलते हैं। अर्जुन और रॉनी के साथ उनके ट्रैक भी चलते हैं, जहां अर्जुन का लव एंगल आगे बढ़ता है, तो वहीं रॉनी के जरायमपेशा काम और दोस्त चड्डी के साथ उसकी बॉन्डिंग। मगर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाती है, पुलिस के लिए यह साबित करना दूभर हो जाता है कि असली कातिल अर्जुन है या रॉनी? उस सॉफ्ट वेयर इंजिनियर का खून किसने किया था और कतल करने की नौबत क्यों आई थी? इन दोनों हमशक्लों का आपस में क्या रिश्ता है? ये जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही मिल पाएंगे?
डेब्यू फिल्म में नहीं दिखा पाए वर्धन अपना कमाल
बता दें कि फिल्म ‘थडम’ अगर आपने देखी है तो उसके सामने फिल्म ‘गुमराह’ (2023) कहीं नहीं ठहरती और इसके लिए पूरी तरह से जिस एक शख्स की जिम्मेदारी बनती है, वह हैं फिल्म के निर्देशक वर्धन केतकर। फिल्म में जितना ध्यान एक्शन दृश्यों पर दिया गया है अगर फिल्म के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर थोड़ा बेहतर काम किया होता तो ये फिल्म एक अच्छी मनोरंजक फिल्म साबित हो सकती है। फिल्मों की लागत ओटीटी राइट्स से निकल आ रही है।