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हिसार की पर्वतारोही अनिता कुंडू ने तीसरी बार की माउंट एवरेस्ट फतह

हिसार की पर्वतारोही अनिता कुंडू ने तीसरी बार की माउंट एवरेस्ट फतह

 

हिसार की पर्वतारोही अनिता कुण्डू ने तीसरी बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की। उन्होंने 21 मई को सुबह 7 बजे चोटी के शिखर पर तिरंगा फहराया। माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई नेपाल में लुकला एयरपोर्ट से शुरू की थी। लुकला से बेस कैंप तक की चढ़ाई अनिता ने 12 दिन में पूरी की। इसके बाद बेस कैंप पर कई दिन तक प्रैक्टिस जारी रखी।

अनिता ने बेस कैंप से 5 मई को ऊपर चढ़ना शुरू किया। दूसरे कैम्प में ही पहुंचे थे कि 7 मई को बर्फीले तूफान ने उनका रास्ता रोक लिया और उनको वापस बेस कैंप लौटना पड़ा। तूफान शांत होने के बाद अनिता ने एक बार फिर 10 मई को बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की, लेकिन 12 को फिर मौसम खराब हो गया। ऐसे में उन्हें अपनी टीम के साथ वापिस नीचे आना पड़ा।

इस बार अनिता 14 पर्वतारोहियों के एक दल का नेतृत्व कर रही थी। 16 मई को फिर उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए मिशन बेस कैंप से शुरू किया और 36 दिन कठिन संघर्ष करके और दुर्गम बर्फीले रास्तों को पार करते हुए बिना ऑक्सीजन के 21 मई को सुबह 7 बजे एवरेस्ट की चोटी पर झंडा फहराया। 

2018 में अनिता ने सेवन समिट यानी सातों महाद्वीपों की 7 ऊंची चोटियों को फतेह करने का अभियान शुरू किया। इसमें इंडोनेशिया की कारस्टेन्स पिरामिड शिखर, यूरोप की एलबुर्स, अफ़्रीका की किलिमंजारो, अंटार्कटिका की विन्सन को फतेह करने में कामयाब रही। अमेरिका की माउंट देनाली पर भी अनिता ने चढ़ाई की, वह फतेह करने ही वाली थी कि बर्फीले तूफान ने उनके कदम रोक दिए थे, जिस वजह से वो अपनी उस यात्रा को पूरा नहीं कर पाई थी।

इससे पहले अनिता कुंडू ने 18 मई, 2013 को नेपाल के रास्ते और 21 मई 2017 को चीन के रास्ते माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वहीं 2015 में भी अनिता ने एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रही थी। 22 हजार फीट तक पहुंच गई थी लेकिन 26 अप्रैल 2015 को एक भयंकर भूकंप ने उनका रास्ता रोक लिया। इस हादसे में अनिता के साथ के कई पर्वतारोहियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और उनके अभियान को कैंसिल कर दिया गया।

 

 


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