Health Story : देश में डिप्रेशन की दर को लेकर चौंकाने वाला रिपोर्ट सामने आया है। एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में हर पांचवां किशोर डिप्रेशन से जूझ रहा है। राष्टीय राजधानी दिल्ली की स्थिति भी चिंताजनक हैं, जहां डिप्रेशन की दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है। विशेषज्ञ इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दे रहे हैं।
देश के भविष्य के लिए गंभीर चुनौती
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) की रिपोर्ट के अनुसार, देश का हर पांचवां किशोर (10 से19 वर्ष तक) मानसिक रूप से अस्वस्थ है। भारत के 25 करोड़ किशोरों में से 5 करोड़ डिप्रेशन, चिंता और बौद्धिक अक्षमता जैसी समस्याओं से प्रभावित हैं। देश में यह समस्या शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेहद गंभीर है, जो देश के भविष्य के लिए गंभीर चुनौती है। यूनिसेफ की ‘चाइल्ड एंड एडोलसेंट मेंटल हेल्थ सर्विस मैपिंग-इंडिया 2024’ और जीबीडी-2024 अपडेट के अनुसार, सात से 14 प्रतिशत किशोर डिप्रेशन, तनाव, चिंता और बौद्धिक अक्षमता जैसे विकारों से प्रभावित हैं।
10 फीसदी चिड़चिड़ापन और झुंझुलाहट से ग्रसित
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को लेकर हुए 2024 क्रास सेक्शनल अध्ययन (PMC, 2025) में शहरी किशोरों में चिंता 50.6 प्रतिशत, डिप्रेशन 24.2 से 39.3 प्रतिशत तक पाया गया है, करीब 10 फीसदी चिड़चिड़ापन और झुंझुलाहट से ग्रसित पाए गए। 2024 सिस्टेमेटिक रिव्यू (क्योरियस, मई 2024) में ग्रामीण क्षेत्रों के 30,970 स्कूली किशोरों में डिप्रेशन 21.7 प्रतिशत और चिंता 20.5 प्रतिशत पाई गई। यह स्थिति किशोरों के संपूर्ण मानसिक विकास (संज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक) को बाधित कर रही है।
शैक्षिक और आर्थिक प्रगति के लिए चुनौती
इसका प्रमुख कारण अकेलापन, बढ़ता स्क्रीन टाइम, प्रदूषण, शोर, शहरी तनाव, प्रतिस्पर्धा और परामर्श सेवाओं की कमी है। इतनी बड़ी संख्या में किशोरों की मानसिक अस्वस्थता देश के भविष्य की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक प्रगति के लिए चुनौती बनती जा रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS 2015-16, 2024) अपडेट के अनुसार, किशोरों में मानसिक विकारों की दर 7.3 प्रतिशत है। इनमें लड़के 7.5 प्रतिशत और लड़कियां 7.1 प्रतिशत है।
किशोरों ने तनाव को मुख्य समस्या बताया
2025 अध्ययन (साइंस डायरेक्ट) में टियर-1 शहरों के 40 प्रतिशत किशोरों ने तनाव को मुख्य समस्या बताया। अध्ययन बताता है कि केवल 80 प्रतिशत किशोर (करीब 20 करोड़) संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य वाले हैं। इस मामले में क्षेत्रीय असमानताएं गंभीर हैं। बिहार में बौद्धिक अक्षमता (लड़कियां: 6.87 प्रतिशत), तमिलनाडु में डिप्रेशन (3.67 प्रतिशत) अधिक है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कम साक्षरता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी स्थिति को बिगाड़ रही है।