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मेकअप का विकास: हजारों साल पुरानी परंपरा से लेकर आधुनिक फैशन तक

मेकअप का विकास: हजारों साल पुरानी परंपरा से लेकर आधुनिक फैशन तक

 

Makeup Story: मेकअप आज सिर्फ फैशन या ग्लैमर का जरिया नहीं है, बल्कि इसका इतिहास सदियों पुराना है। क्या आप जानते हैं कि कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स का आविष्कार अनजाने में हुआ था और शुरुआत में इसे इंसान जीवित रहने और सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करता था? हां, आज हम जिस चमक-दमक और खूबसूरती को देखते हैं, उसकी शुरुआत पूरी तरह से सर्वाइवल टेक्निक से हुई थी।

जंगल में छिपने से पिगमेंट तक

हजारों साल पहले इंसानों ने अपने चेहरे पर प्राकृतिक रंग और पिगमेंट्स लगाए। लाल मिट्टी, राख, धूल- ये सिर्फ सजावट के लिए नहीं बल्कि सूरज की तेज़ धूप, कीट-पतंग और धूल से बचाव के लिए इस्तेमाल होते थे। कुछ जगहों पर तो यह माना जाता था कि बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए भी चेहरा रंगा जाता था। इजिप्ट जैसे प्राचीन सभ्यताओं में मेकअप का इस्तेमाल केवल सुरक्षा या आत्मरक्षा के लिए नहीं बल्कि सामाजिक पहचान और रैंक दिखाने के लिए भी किया जाता था। अलग-अलग वर्ग और ट्राइब्स के लोग अपने पिगमेंट्स और स्टाइल से पहचाने जाते थे।

धार्मिक प्रतिबंध और बदलाव

डार्क एज के दौरान चर्च ने मेकअप को गलत मानकर बैन कर दिया। लेकिन समय के साथ, यह सिर्फ सजावट और सुंदरता का जरिया बन गया। ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ ने अपने चेहरे के दाग-धब्बों को छुपाने के लिए मेकअप का इस्तेमाल किया।

फिल्मों ने बदल दी कहानी

20वीं सदी में फिल्मों में मेकअप का चलन तेजी से बढ़ा। अभिनेत्रियों ने खूबसूरत दिखने के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स अपनाए, और आम लोग भी उन्हें फॉलो करने लगे। भारत में भी फिल्मी ट्रेंड्स ने मेकअप को लोकप्रिय बना दिया और इसका बाजार तैयार किया। आज मेकअप सिर्फ ग्लैमर नहीं बल्कि आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को बढ़ाने का जरिया है। यह बताता है कि इंसानों ने इसे केवल सुंदर दिखने के लिए नहीं, बल्कि जीवन में सुरक्षा, पहचान और समाज में स्थान बनाने के लिए भी विकसित किया। जंगलों से लेकर फैशन रैंप तक, मेकअप का सफर सच में बेहद दिलचस्प और प्रेरक है। यह दिखाता है कि सुंदरता और स्टाइल सिर्फ आधुनिक फैशन नहीं, बल्कि मानव सभ्यता का हिस्सा रही है।


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