भारतीय सेना में आज '12 शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम' शामिल कर लिए गए हैं। मैकेनिकल डिवाइस की तरह काम करने वाले इन शार्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम से नदियों और नहरों समेत तमाम प्रकार की जलीय सतहों पर पुल बनाकर 70 टन तक वजन वाले टैंक ले जाने में आसानी होगी। सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की तरफ यह सफल कदम है और इससे इससे सेना की ताकत में इजाफा होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डीआरडीओ के इंजीनियरों ने इसका डिजाइन तैयार किया, जबकि लार्सन एंड टर्बो लिमिटेड ने इसका निर्माण किया है। इस पर कुल लागत लगभग 490 करोड़ रुपए की बताई जा रही है। इन 12 ब्रिजिंग सिस्टम को पाकिस्तान के साथ सटी पश्चिमी सीमाओं पर उपयोग के लिए तैनात किया जाएगा। सैन्य अधिकारियों का दावा है कि इससे सेना की मौजूदा ब्रिजिंग क्षमता भी कई गुणा बढ़ जाएगी। यह सिस्टम एक गेम चेंजर की भूमिका निभाएगा।
डीआरडीओ प्रमुख डॉक्टर जी सतीश रेड्डी ने कहा कि इस सिस्टम का बेंगलुरु के पास कोलार में ट्रायल चल रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया है। इनपुट के बारे में सशस्त्र बलों से अभी चर्चा चल रही है। कई प्राइवेट कंपनियों को भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया जा रहा है।
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