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अपह्रत महिला को फेसबुक ने परिजनो से मिलाया, 9 साल पहले चचेरे मामा ने किया था अपहरण

अपह्रत महिला को फेसबुक ने परिजनो से मिलाया, 9 साल पहले चचेरे मामा ने किया था अपहरण

 

गुरुग्राम: आज के दौर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स बनते-बिगड़ते रिश्तों की वज़ह बनते जा रहे हैं। जहां एक ओर इस वर्चुअल संसार में आप नए रिश्ते बनाते हैं वहीं दूसरी ओर बिछड़ों को अपनों तक पहुंचाने में भी ये मददगार साबित हो रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला हाल ही में सामने आया है, जहां 9 साल पहले अपह्रत हुई एक महिला ने फेसबुक के जरिए अपने घर वालों से संपर्क किया। बता दें कि 9 साल पहले जब इस महिला को अगवा किया गया था। उस समय इसकी उम्र महज़ 10 साल थी। परिजनों ने पुलिस में शिकायत भी की लेकिन बच्ची का कोई पता नहीं चला। अब जाकर 9 साल बाद जब महिला ने फेसबुक का इस्तेमाल करना सीखा, तो उसे फेसबुक पर अपने भाई की प्रोफाइल मिली। जहां से उसने अपने परिजनों से सम्पर्क किया।

महिला की मानें तो 9 साल पहले उसके चचेरे मामा पुष्पेंद्र उसे अगवा कर ले गए थे और ऐटा ले जाकर किसी संतोष नाम के शख्स के हवाले कर दिया था। संतोष ने इस महिला के साथ रेप किया और फिर अशोक नाम के शख्स को बेच दिया। वहां भी मासूम के साथ कई लोगों ने बलात्कार किया। खुद को पीड़िता का पति बताने वाला अशोक उसे करीब दो साल पहले नोएडा ले आया और नोएडा में ही रहने लगा। नोएडा में पीड़िता ने पड़ोस में रहने वाली एक महिला से दोस्ती कर ली और उसके फोन में फेसबुक इस्तेमाल करने लगी। जिसके ज़रिये उसे अपने परिजनों का फोन नंबर मिला। परिजनों का आरोप है कि अगर 9 साल पहले पुलिस ने सही तरीके से काम किया होता तो इतने साल तक उन्हें अपने जिगर के टुकड़े से दूर न रहना पड़ता।

बताते चलें कि बीते 24 दिसम्बर को महिला के परिजन उसे अपने पास ले आए और 8 जनवरी को राजेन्द्र पार्क थाने में जाकर मामले की शिकायत दी। जिसके बाद पुलिस ने अपहरण, रेप और मारपीट जैसी संगीन धाराओं में पुष्पेन्द्र और कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। पुलिस ने बीती रात महिला को 9 साल पहले अगवा करने वाले हैवान पुष्पेन्द्र को गिरफ्तार भी कर लिया है। 

सोशल मीडिया के साइड इफेक्ट्स तो हैं ही लेकिन गुरूग्राम से सामने आई इस घटना ने इस प्लैटफॉर्म के सही इस्तेमाल का रास्ता भी दिखाया है। साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठते हैं कि कैसे पुलिस की नाकामी के चलते एक मासूम को 9 साल तक अपनों से दूर रहकर जिल्लत की ज़िंदगी जीनी पड़ी।


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