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पंजाब में नशे से हो रही मौतों की वजह से सरकार की टूटी नींद

पंजाब में नशे से हो रही मौतों की वजह से सरकार की टूटी नींद

 

जिस पंजाब को संवारने के लिए, सेवा में शपथ लिए राजनेता अब तक कहते आए हैं कि पंजाब में ड्रग्स है ही नहीं. आज वही पंजाब नशे की चपेट में है. आज पंजाब ड्रग्स के नशे में जकड़ा हुआ है. सरकार कहती आ रही थी कि पंजाब में ड्रग्स नहीं हैं. लेकिन 32 दिनों में 42 मौतों के बाद सरकार का सिंहासन डोलने लगा.

 

आए दिन नशे से हो रही मौतों से ये तो तय है कि तमाम सरकारी महकमे ड्रग्स के इस धंधे में शामिल हैं. इसलिए 4 जुलाई को सरकार ने आदेश दिया कि सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मियों का डोप टेस्ट अब ज़रूरी होगा. सरकार ड्रग्स से मौत पर देर से जागी तो सियासत भड़क गई. फिलहाल पंजाब को ड्रग्स मुक्त करने की शपथ लेने वाले जनसेवक जाग गए हैं.

 

शपथ लिए हुए डेढ़ बरस बीत गया लेकिन पंजाब खुशहाल होने की बजाय और बदहाल हो गया है. दावे ज़रूर किए गए कि पंजाब में ड्रग्स तस्करों पर बड़ी कार्रवाई हुई है लेकिन ज़मीनी हकीकत नहीं बदली. आज ड्रग्स के जानलेवा फंदे में फंसे पंजाब के युवाओं की टूटती सांस और बिलखते परिवार कह रहे हैं, 'कैप्टन साहब आपके वादे का क्या हुआ'?

 

पंजाब में ऐसी कहानियों की कोई गिनती नहीं है क्योंकि सरकार कभी इन मौतों का रिकॉर्ड नहीं बनाती. नशे की गिरफ्त में सिर्फ पंजाब के युवा लड़के ही नहीं हैं, बल्कि लड़कियां भी नशाखोरी की लत में ऐसी फंस चुकी हैं कि उस दलदल से निकला मुश्किल है.

 


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