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गोपाष्टमी 2025 कब है? शुभ मुहूर्त के साथ पूजा विधि भी जान लीजिए

गोपाष्टमी 2025 कब है? शुभ मुहूर्त के साथ पूजा विधि भी जान लीजिए

 

Gopashtami 2025:गोपाष्टमी का त्यौहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।

ऐसा माना जाता है कि सात दिनों तक लगातार बारिश के बाद, गोपाष्टमी के दिन भगवान इंद्र ने हार मान ली थी। अब सवाल उठता है, इस साल गोपाष्टमी किस तारीख को मनाई जाएगी? इस साल गोपाष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? इस त्यौहार से जुड़े विशेष नियमों के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं। 

गोपाष्टमी 2025 कब है?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार, 29 अक्टूबर को सुबह 9:23 बजे शुरू हो रही है।

यह गुरुवार, 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे समाप्त होगी। इसलिए उदय तिथि के अनुसार, गोपाष्टमी पूजा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

2025 में राधा कृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त

गोपाष्टमी पर श्री राधा कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:35 से 7:57 बजे तक है। इस दौरान श्री राधा कृष्ण की पूजा करने से भक्ति में आनंद की प्राप्ति होती है।

साथ ही, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बनी रहती है, जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। इसके अलावा, भक्ति पर श्री राधा कृष्ण की असीम कृपा होती है।

गाय और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है

गोपाष्टमी पर गाय और बछड़ों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन गायों को सजाया जाता है, उन्हें गुड़ और चारा खिलाया जाता है और उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।

यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है और इसका महत्व भगवान श्री कृष्ण के गौ-चारण के आरंभ से जुड़ा है।

गोपाष्टमी 2025 पूजा विधि जानिए?

  1. सुबह स्नान करें, साफ-सुथरे कपड़े पहनें और पूजा करने का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल को गोबर, फूल, दीपक और रंगोली से सजाएँ।
  3. भगवान कृष्ण और गौमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. गाय को स्नान कराएँ और उसके सींगों पर हल्दी, कुमकुम और फूलों की माला पहनाएँ।
  5. गुड़, हरा चारा, गेहूँ, फल, जल और दीपक अर्पित करें।
  6. "गोमाता की जय" और "गोपाल गोविंद जय जय" जैसे मंत्रों का जाप करें।
  7. आखिर में, गोमाता की आरती करें और उनकी परिक्रमा करें।

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