New Delhi News : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, देश के सर्वोच्च खेल सम्मान, के लिए बधिर खिलाड़ियों को शामिल करने के लिए एक निष्पक्ष चयन ढांचा तैयार करें। न्यायालय को बताया गया कि वर्तमान में बधिर खिलाड़ी इस पुरस्कार के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते।
आवेदन जमा करने की समय सीमा बढ़ाई जाए - हाईकोर्ट
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि जब तक चयन मानदंड तैयार नहीं हो जाता, तब तक इस वर्ष पुरस्कार के लिए आवेदन जमा करने की समय सीमा बढ़ाई जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए प्रतिवादियों को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, 2025 के लिए बधिर खिलाड़ियों को शामिल करने के लिए उपयुक्त मानदंड तैयार करने पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है। यह कार्य शीघ्रता से किया जाए ताकि बधिर खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, 2025 के लिए आवेदन जमा कर सकें। आवश्यक आवेदनों को जमा करने की समय सीमा को उचित रूप से बढ़ाया जाए।
बधिर और पैरा-एथलीटों के बीच समानता की मांग
यह आदेश बधिर एथलीट वीरेंद्र सिंह और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया, जिसमें बधिर और पैरा-एथलीटों के बीच समानता की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार 2025 के लिए मानदंड तैयार करते समय बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
व्यक्तियों के बीच भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं
मानदंडों की समीक्षा के बाद कोर्ट ने पाया कि बधिर खिलाड़ियों को इस पुरस्कार के लिए आवेदन करने या विचार किए जाने का कोई अवसर नहीं है, जो पैरा खिलाड़ियों की तुलना में बधिर खिलाड़ियों के प्रति भेदभावपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 और उसकी अनुसूची के तहत, श्रवण बाधित व्यक्तियों और शारीरिक या लोकोमोटर अक्षमता वाले व्यक्तियों के बीच भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है।