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किसान-प्रशासन के बीच बनी सहमति, हिसार हिंसा मामले में दर्ज मामले होंगे वापिस

किसान-प्रशासन के बीच बनी सहमति, हिसार हिंसा मामले में दर्ज मामले होंगे वापिस

 

कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच हजारों की संख्या में हरियाणा के हिसार में 16 मई की पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ किसान एकजुट हुए। वहीं,  प्रदर्शन के बीच एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत भी हो गई। किसानों के प्रदर्शन को देख प्रशासन के साथ संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की सोमवार को बैठक हुई, जिसमें कुछ निर्णय लिए गए।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, प्रशासन के साथ चली लंबी बातचीत में किसानों की मांगें मान ली गई व प्रशासन की तरफ से 16 मई की पुलिस कार्रवाई की माफी मांगी गई। वहीं बैठक में मुख्य रूप से 3 निर्णय हुए हैं जिसमें पहला, 16 मई की घटना से संबंधित किसानों पर दर्ज पुलिस मुकदमे वापस ले। दूसरा, किसानों की गाड़ियां जो पुलिस ने तोड़ी उनपर प्रशासन द्वारा ठीक करवाई जाएगी और तीसरा आज की पंचायत में दिल का दौरा पड़ने से हुई किसान रामचंद्र के परिवार के योग्य सदस्य को जिला प्रशासन द्वारा सरकारी नौकरी दी जाएगी।

दरअसल, किसानों द्वारा सोमवार को क्रांतिमान पार्क में आयोजित सभा में उगालन के किसान रामचंद्र की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा, ''हरियाणा सरकार लगातार किसानों को बदनाम करती आ रही है। किसानों पर कोरोना फैलाने का इल्जाम भी लगाया गया है। किसान यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कारण राज्य में कोरोना फैल रहा है। अगर किसानों ने हड़ताल की है तो वह मुख्यमंत्री की आने पर की है। मुख्यमंत्री खुद अगर किसानों के खिलाफ बयानबाजी व झूठे मुकदमे बंद करें व कोरोना का सही ढंग से नियंत्रण करें तो किसान इस तरह सड़कों पर नहीं निकलेंगे।''

इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार से भी अपील करते हुए कहा, "किसानों को बदनाम करने की बजाय तीन कृषि कानून वापस ले, एमएसपी पर कानून बनाए तो किसान अपने आप घर चले जाएंगे। लेकिन सरकार जानबूझकर किसानों की मांग पूरा नहीं कर रही है।" इसके अलावा दिल्ली की सीमाओं समेत देश के तमाम किसान धरनों पर 26 मई को बुद्धपूर्णिमा मनाई जाएगी। किसान आंदोलन के 6 महीने पूरा होने और केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर सयुंक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर अनेक मजदूर संगठन लोकतांत्रिक जनवादी संगठन एवं कई दलों ने विरोध दिवस का समर्थन किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि 26 मई का विरोध दिवस सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज तेज करेगा। जहां एक तरफ किसान हर मौसम में हर स्थिति में अपने आप को मजबूत रखते हुए दिल्ली की सीमाओं पर 6 महीनों से संघर्ष कर रहे हैं, उसके विपरीत केंद्र की मोदी सरकार पिछले 7 सालों से किसानों समेत समाज के हर वर्ग का गहरा शोषण कर रही है। उन्होंने कहा, "26 मई का दिन देश के तमाम जनवादी संगठन विरोध दिवस के तौर पर मनाएंगे व केंद्र सरकार को एक सीधा संदेश देंगे कि लोकतंत्र में लोक बड़ा होता है, तंत्र नहीं।"

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