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CM मनोहरलाल ने बताया 1995 का ये वाकया, जब फतेहाबाद के इस व्यक्ति ने बचाई थी उनकी जान

CM मनोहरलाल ने बताया 1995 का ये वाकया, जब फतेहाबाद के इस व्यक्ति ने बचाई थी उनकी जान

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक युवक के घर पहुंच कर साल 1995 का एक वाकया बताया। सीएम मनोहर लाल ने बताया कि वे ट्रेन की एक बोगी की खिड़की पर लटके थे और उनकी जान चली जाती यदि फतेहाबाद के रतिया का एक नौजवान समय पर उन्हें खींचकर ट्रेन के भीतर न करता।

 

1995 में मनोहर लाल देर रात चलती ट्रेन पर काफी समय तक खिड़की पर लटके रहे, लेकिन किसी ने बोगी का दरवाजा और खिड़की खोलकर उन्हें भीतर खींचने की हिम्मत नहीं की। क्योंकि वह इलाका चंबल घाटी के डाकुओं का था। लेकिन रतिया के कालूराम ने हिम्मत दिखाते हुए रात के अंधेरे में न केवल मनोहर लाल को पहचाना, बल्कि उसने जान भी बचाई।

 

सीएम ने ये वाकया 'कनेक्ट टू पीपल' कैंपेन के तहत उस वक्त जनता के साथ साझा की, जब वे उसी वर्कर कालूराम के घर चाय पीने गए। कालूराम का कहना था कि वे फूले नहीं समा रहे हैं कि सीएम अचानक उनके घर पहुंचे और आज तक 23 साल पुरानी बात भी नहीं भूले।

 

सीएम ने बताया कि वर्ष 1994 में उन्हें भाजपा का संगठन मंत्री बनाया गया था। उसके बाद वर्ष 1995 में मुंबई में भाजपा का राष्ट्रीय स्तरीय वर्कर सम्मेलन था। उनके नेतृत्व में हरियाणा से 1700 वर्कर ट्रेन में मुंबई पहुंचे और ट्रेन से ही वापस आए। वापसी में उनकी ट्रेन अचानक चंबल घाटी में रुक गई जो डाकुओं का इलाका था और वे अपने डिब्बे से कुछ डिब्बे पीछे थे। ट्रेन करीब रात 11.45 बजे जंगली इलाके में अचानक रुकी हुई थी। लिहाजा उन्होंने फटाफट बोगी से उतरकर अपनी वाली बोगी में जाने की सोची। वे ऐसा करने के लिए ट्रेन से नीचे उतरे, तभी अचानक ट्रेन चल पड़ी। ये देखकर उनके सामने से जो बोगी गुजर रही थी, वह उसकी का दरवाजा पकड़कर चढ़ गए। लेकिन बोगी का दरवाजा और खिड़की बंद थी। ट्रेन चल रही थी और वे  चलती ट्रेन में लटके हुए ही दरवाजे और खिड़की को जोर-जोर पीटकर अंदर मौजूद यात्रियों से दरवाजा खोलने की अपील कर रहे थे। अधिकतर यात्री सोए हुए थे। लेकिन छह यात्री अचानक उठे और उन्हें लटका देख डर गए। उन्हें लगा कोई डाकू लटका हुआ है। किसी ने हिम्मत नहीं की। लेकिन उसी बोगी में मौजूद कालूराम ने हिम्मत जुटाकर खिड़की खेालकर न केवल उन्हे पहचाना बल्कि फटाफट भीतर खींचा।


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