राजस्थान के भरतपुर में 14 साल के बच्चे से दुष्कर्म के मामले में 45 दिन बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की। बच्चे से दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने जांच के बाद जज जितेंद्र गुलिया और उसके दो क्लर्क, राहुल और अंशुल को मुजरिम माना है। इस मामले में 40 से ज्यादा गवाह पेश किए गए थे। इसके अलावा तीनों आरोपियों के मोबाइल भी जब्त किए गए हैं। बुधवार को पुलिस ने पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी, जिस पर गुरुवार को कोर्ट प्रसंज्ञान लेगा।
आपको बता दें कि 31 अक्टूबर को मथुरा गेट थाने में बच्चे की मां ने जज और उसके दो क्लर्क के खिलाफ बच्चे से दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जज जितेंद्र गुलिया को 3 नवंबर को उसके जयपुर मकान से गिरफ्तार कर लिया। इस पहली गिरफ्तारी के बाद दो अन्य आरोपियों ने खुद को जांच अधिकारी सीओ सतीश वर्मा के सामने सरेंडर कर दिया था। इस मामले में पुलिस ने 45 दिन में ही चार्जशीट पेश कर दी। पुलिस ने करीब 43 लोगों को गवाह बनाया है। जिससे आरोपियों का बच पाना मुश्किल हैं।
31 अक्टूबर को मथुरा गेट थाने में मामला दर्ज कराया था। मां ने आरोप लगाया था कि उनका 14 साल का बच्चा जो की एक क्लब में टेनिस खेलने के लिए जाता है। और वही जितेंद्र गुलिया नाम का जज भी आता है। उसने पहले बच्चे के साथ अपनी जान पहचान बढ़ाई। और बच्चे को अपने घर ले जाने लगा। वहां बच्चे को खाने-पीने की चीजों में नशीले पदार्थ मिलाकर देता और उसके साथ दुष्कर्म करता था। क्लर्क अंशुल और राहुल भी बच्चे के साथ कुकर्म करते थे। यह बात जब बच्चे की मां को पता लगी तो उन्होंने इस बारे में जज गुलिया से बात की। जिसके बाद जज गुलिया ने ACB के सीओ परमेश्वर लाल को बच्चे के घर भेजा और उसके परिवार को धमकियां दिलवाईं।
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