प्रदेश सरकार ने पिछले साल के मुकाबले इस साल उधार पर होने वाले खर्च को तो कम रखा लेकिन खर्च कम कर विकास के बजाय लोगों को व्यक्तिगत लाभ देने पर ज्यादा फोकस किया है.
जाहिर सी बात है कि सरकार में बैठे सियासी पंडितों को इस बात का पता है कि हिमाचल की राजनीति में अहम रोल अदा करने वाले सरकारी कर्मचारियों का वर्ग जिस ओर होता है, उसी ओर चुनावी परिणाम जाता है.
जयराम सरकार के दूसरे बजट के आंकड़ों में दर्ज सरकारी खर्च का हिसाब किताब मुख्यमंत्री जयराम और भाजपा का सियासी गणित समझाता दिखा। पिछले साल सरकार ने बजट में हर सौ रुपये के खर्च का हिसाब किताब दिया तो उसमें लोन और ब्याज पर 19.04 रुपये खर्च होने की बात कही थी.
इसके अलावा विकास पर 39.56 रुपये और वेतन व पेंशन पर 41.30 रुपये खर्च होने की बात कही थी। इस साल के बजट में सरकार ने बताया कि वह लोन और ब्याज पर तो पिछले साल की तुलना में 17.60 रुपये ही खर्च करेगी लेकिन हर सौ रुपये में पिछले साल की तुलना में इस मद में कम होने वाले खर्च को वह वेतन और पेंशन पर खर्च करेगी। जबकि विकास पर खर्च को इस साल भी 39.56 रुपये ही रखा है. जाहिर है, सरकार में बैठे सियासी पंडितों को भी पता है कि विकास से ज्यादा जनता पर व्यक्तिगत लाभ का असर ज्यादा होता है और उसी के बूते चुनावी समर में फायदा मिलना है. इसी वजह से जयराम के दूसरे बजट में वेतन और पेंशन पर खर्च का हिस्सा बढ़ा दिया गया है.
वहीं, जानकारों का कहना है कि लोन और ब्याज पर खर्चा घटना प्रदेश की आर्थिकी के लिए अच्छा संकेत है लेकिन कर्मचारी व पेंशनर्स का खर्च बढ़ना और सरकार का भी उसी पर फोकस करना ठीक नहीं है.
हालांकि जानकार यह उम्मीद भी जता रहे हैं कि चूंकि इस साल मई जून तक लोकसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार ने भले ही उधार चुकाने का खर्च घटाकर लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाकर भले ही इस साल अपने पक्ष में करने का प्रयास करे लेकिन अगले साल के बजट में भी अगर सब ठीक रहा तो विकास के लिए खर्च बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है.
हर सौ रुपये में कुछ इस तरह सरकार ने बांटा खर्च का अनुपात
2018-19 मद 2019-20
27.18 वेतन पर खर्च 27.84
14.22 पेंशन पर खर्च 15.00
10.28 ब्याज अदायगी 10.25
8.6 ऋण अदायगी 7.35
39.56 विकास कार्य पर 39.56