जनता टीवी के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम राजनीतिक विषयों से हटकर उस विषय पर बातचीत करने के लिए तत्पर होते हैं... जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रखा है। पिछले 2 साल से कोरोना हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है और हमारी जिंदगी की समस्या भी बना हुआ है। कोरोना के चलते हमारे देश में दिन की व्यवस्था इस प्रकार से बिगाड़ दी है। उस के संदर्भ में जितना कुछ भी कहा जाए... वह कम है। हर बार उम्मीद करते हैं कि इस बार तो कोरोना से हमें निजात मिलेगी। लेकिन कुछ समय राहत से गुजरता है और उसके बाद वहीं चुनौतियां सामने खड़ी हो जाती हैं। एक बार फिर नई लहर हमारी जिंदगी में दस्तक देती है और सब कुछ तहस-नहस कर देती है।
दुनिया के तमाम देश चौथी-पांचवी-छठी लहर से जूझ रहे हैं। लेकिन हिंदुस्तान के संदर्भ में यह बात की जाए... तो इस समय हम यहां पर तीसरी लहर से जूझ रहे हैं। तीसरी लहर के तहत तमाम वैज्ञानिक एक्सपर्ट कह रहे हैं कि संक्रमण तेज गति से नहीं बल्कि बहुत तेज गति से फैल रहा है। पहली और दूसरी लहर के मुकाबले संक्रमण की रफ्तार 3 गुनी 4 गुनी और 5 गुना तेजी से बढ़ रही है। लेकिन सच इससे भी ज्यादा हो सकता है। अगर संक्रमण की बात करें वर्तमान में जो संक्रमण से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं। वह दो लाख ढाई लाख से ऊपर आ रहे हैं। हो सकते हैं कि वह उससे भी कहीं ज्यादा हो सकते हैं। लेकिन ओमिक्रॉन के बाद जो बदलाव देश में आया है, लोग अब टेस्ट कराने के लिए बहुत इच्छुक नहीं है। लेकिन इन सबके बीच में जो एक आशा भरी खबर है वह यह है कि तमाम चिकित्सा विशेषज्ञ कह रहे हैं। यह अब इस महामारी की समाप्ति का संकेत है। बड़े पैमाने पर जो संक्रमित लोग हो रहे हैं, वह छोटी सी तकलीफ के साथ अपने अंदर पर्याप्त एंटीबॉडीज विकसित करने में कामयाब हो रहे हैं और इसका नतीजा कुल मिलाकर जो हो रहा है कि हो सकता है कि आने वाले वक्त में हमारी जिंदगी से बिल्कुल समाप्त हो जाए और एक सामान्य दिनचर्या में वापसी के तौर पर हो। क्या ऐसा होगा। हम इस खास कार्यक्रम में चर्चा करेंगे.... कई मेहमान इस कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़े हुए हैं.... जिनसे हम जानेंगे क्या वाक्य में बदलाव आएगा... 'चर्चा'