Firecracker Noise Effect : हिन्दू धर्म में सभी त्योहारों में से एक दिवाली एक ऐसा त्योहार है, जिसमें नन्हें मुन्हें बच्चे से लेकर बुजुर्ग लोग काफी उत्साह के साथ खूब पटाखे जलाते हैं। पटाखे फोड़ते समय तो बहुत मजा आता है लेकिन इन पटाखों से निकलने वाला धुआं तो हमारे लिए नुकसानदायक होता है, साथ ही इसकी अत्यधिक तेज आवाज भी हमारे कानों के लिए हानिकारक होती हैं। यह तेज आवाज कभी-कभी हमारे कानों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।
अगर तेज आवाज वाले पटाखों के तुरंत बाद आपके कान सुन्न हो गए हैं, या आपको कानों में सीटी बजने या सनसनाहट की आवाज आ रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह अस्थायी रूप से नॉइस इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस का संकेत हो सकता है। यह स्थिति तब बनती है जब ध्वनि की अत्यधिक तेज ऊर्जा कान के संवेदनशील कोशिकाओं को अस्थाई रूप से थका देती है।
पटाखों के शोर के संपर्क में आने से बचें
पटाखों का शोर पहले ही अंदरूनी कान की नाजुक कोशिकाओं को थका चुका होता है, और ऐसे में कान में कुछ भी डालना, संक्रमण या जटिलताओं को बढ़ाकर स्थायी क्षति का कारण बन जाता है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए कान सुन्न होने पर घबराहट में कोई भी गलती न करें और खुद से कुछ भी इलाज न करें। मीडिया से बातचीत के दौरान ओड़ीसा के निजी अस्पताल के डॉक्टर रवि कुशवाहा ने बताया कि अगर आपका सुन्न हुआ है या सीटी की आवाज आ रही है तो तो ज्यादा चांस है कि वो 1-2 दिनों में सामान्य हो जाएगा। इसके लिए आप पटाखों के शोर के संपर्क में आने से बचें और कानों को तुरंत पूर्ण आराम दें। शोरगुल वाली जगह से हटकर किसी शांत कमरे में चले जाएं।
नाजुक स्थिति में ये गलती न करें
अगले 12 से 24 घंटों तक हेडफोन, ईयरफोन या तेज म्यूजिक सुनने से बचें। इस दौरान कान के अंदरूनी हिस्से को खुद को सामान्य करने का समय मिलता है। कानों को जितना अधिक आराम मिलेगा, अंदरूनी कोशिकाओं के अस्थायी रूप से ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी। इस नाजुक स्थिति में मरीज अक्सर गलती कर बैठते हैं और वे बिना डॉक्टर की सलाह के तुरंत कानों में तेल, कोई घरेलू नुस्खा या कोई हर्बल दवा डाल लेते हैं। डॉक्टर के अनुसार यह गलती आपके कानों को स्थायी बहरेपन की ओर धकेल सकती है।