Kantara Chapter 1 Movie Review: आमतौर पर देखा जाता कि पहला पार्ट सफल होने के बाद दूसरे पार्ट के लिए जब फिल्म का बजट बढ़ता है तो मेकर्स उसे बर्बाद कर देते हैं। ‘कांतारा चैप्टर 1’ के साथ ऐसा नहीं हुआ। फिल्म की शुरुआत बढ़िया है। हां, बीच में कहीं-कहीं मेकर्स भटके जरूर हैं पर अंत में उन्होंने एक बार फिर से फिल्म को जिंदा कर दिया। यहां पढ़िए कैसी हैं ‘कांतारा चैप्टर 1’...
ये है फिल्म की कहानी
फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि ये वहीं से शुरू होती है जहां पिछला भाग खत्म हुआ था। बच्चा एक सवाल पूछता है? जिसके जवाब में उसे एक दंत कथा सुनाई जाती है। कहानी कंदब साम्राज्य के दौर की है। एक तरफ ईश्वर के मधुबन में भगवान शिव के उपासक कांतारा गांव वाले रहते हैं दूसरी तरफ राजा विजयेंद्र (जयराम) का साम्राज्य है। राजा विजयेंद्र के दादा ईश्वर के मधुबन को हड़पना चाहते थे पर दैव ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया। इसके बाद से राजा विजयेंद्र कांतारा वालों से डरने लगे और कई वर्षों तक उनके गांव नहीं गए। आगे चलकर जब राजा विजयेंद्र ने अपने बेटे कुलशेखर (गुलशन देवैया) को राजा बनाया तो उसने कांतारा में घुसने की कोशिश की। इसके जवाब में कांतारा का रक्षक बेर्मे (ऋषभ शेट्टी) उनके साम्राज्य में घुस जाता है। सब कुछ ठीक चलता है पर अचानक एक दिन कुलशेखर जबरदस्ती कांतारा में घुसकर वहां के लोगों को मारकर उनके घर जला देता है। इसके बाद दैव नाराज हो जाते हैं और असली खेल शुरू होता है।
अभिनय ने भरी जान
ऋषभ शेट्टी ही पिछली फिल्म की तरह इस फिल्म की भी जान हैं। उनका स्क्रीन प्रेजेंस कुछ अलग ही होता है। एक्शन सीन में वो कमाल कर जाते हैं। पूरी फिल्म में जब जब आपको ऋषभ दिखाई देते हैं आप एंजॉय करते रहते हैं। रुक्मिणी पूरी फिल्म में खूबसूरत लगी हैं। उन्होंने भी एक्शन किया है, जो अच्छा बन पड़ा है। गुलशन देवैया यहां अपना काम बखूबी कर गए। उन्हें देखकर मजा आता है। शारीरिक तौर पर वो फिल्म में ऋषभ से कमजोर लगेंगे पर उनके अभिनय में दम है। बाकी कलाकारों ने सही साथ दिया है।