Indo-Pacific region: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार (31 अक्टूबर) सुबह मलेशिया के कुआलालंपुर में 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (एडीएमएम-प्लस) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत एडीएमएम-प्लस की शुरुआत से ही इसमें एक सक्रिय और रचनात्मक भागीदार रहा है। यह व्यवस्था भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और 'इंडो-पैसिफिक विजन' का एक अभिन्न अंग है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और आसियान के बीच संबंध केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि साझा मूल्यों और विश्वास पर आधारित हैं। आसियान-भारत साझेदारी को 2022 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया है, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का संकेत है।
रक्षा मंत्री ने यह महत्वपूर्ण बात कही
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आसियान और प्लस देशों के साथ रक्षा सहयोग को क्षेत्र में शांति, स्थिरता और क्षमता निर्माण में योगदान के रूप में देखता है। नियम-आधारित, समावेशी और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बारे में भारत का दृष्टिकोण हमेशा स्पष्ट रहा है।
राजनाथ सिंह ने UNCLOS का ज़िक्र किया
राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून (UNCLOS) का हवाला देते हुए कहा कि भारत हमेशा कानून के शासन, नौवहन की स्वतंत्रता और उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह किसी देश के विरुद्ध नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रीय हितधारकों की सामूहिक सुरक्षा के लिए है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में आज की सुरक्षा चुनौतियाँ केवल पारंपरिक सैन्य खतरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबर सुरक्षा, समुद्री निगरानी, बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा और मानवीय संकट प्रबंधन जैसे नए क्षेत्र भी इसमें शामिल हैं। ADMM-प्लस इस दिशा में देशों के बीच विश्वास निर्माण के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुआ है।
चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून के बगल में बैठे राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत ADMM-प्लस में अपनी भूमिका को सहयोग और साझेदारी की भावना से देखता है। हमारा दृष्टिकोण लेन-देन-आधारित नहीं, बल्कि सिद्धांत-आधारित और दीर्घकालिक है।" उन्होंने यह भी कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र खुला, समावेशी और किसी भी तरह के दबाव या जबरदस्ती से मुक्त रहना चाहिए। राजनाथ सिंह का यह बयान खासतौर पर दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता और अन्य देशों की नौसेनाओं को रोकने की उसकी कोशिशों के मद्देनजर काफी अहम माना जा रहा है।