बसंत पंचमी का त्योहार उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा का विधान है। इस दिन कई लोग प्रेम के देवता काम देव की पूजा भी करते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु का प्रारंभ होता है। इस दौरान मौसम सुहाना हो जाता है और पेड़-पौधों में नए फल-फूल पल्लवित होने लगते हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक बसंत पंचमी हर साल जनवरी या फरवरी महीने में पड़ती है। इस बार बसंत पंचमी 29 जनवरी 2020 को है।
सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है। वो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की उत्पत्ती बसंत पंचमी के दिन ही की थी। इसलिए हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्म दिन मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल और बिहार में बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। न सिर्फ घरों में बल्कि शिक्षण संस्थाओं में भी इस दिन सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।
बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा कर उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं। इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा की जाती है। छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है। उन्हें किताबें भी भेंट की जाती हैं। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन किया जाता है. बंगाल में इस दान पीले रंग की खिचड़ी खाई जाती है।